आज हम आपके लिए हिंदी व्याकरण के अंतर्गत visheshan in hindi– विशेषण की परिभाषा, भेद और उदाहरण नामक पोस्ट लेकर आये हैं। जिसमें विशेषण को बहुत ही सरल भाषा में विस्तारपूर्वक समझाया गया है।
visheshan in hindi
विशेषण से संज्ञा का गुण या विशेषता प्रकट होती है साथ ही जातिवाचक संज्ञा की व्यापकता सीमित हो जाती है। जैसे- काला घोड़ा कहने से घोड़े की विशेषता तो पता चलती ही है। साथ ही उसी घोड़े का बोध होता है जोकि काला है।
विशेषण की परिभाषा
“संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताने वाले शब्द विशेषण कहलाते हैं। विशेषण एक ऐसा विकारी शब्द है जोकि हर हालत में संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताता है।”
उदाहरण– काली गाय, पेटू आदमी, पहाड़ी सड़क, इतना, कितना आदि।
विशेषण के कार्य
1- विशेषता बताना
विशेषण का मुख्य कार्य विशेषता बताना है। जैसे-
राम स्वस्थ है। (यहां स्वस्थ विशेषण है और संज्ञा राम की विशेषता बता रहा है।)
काला घोड़ा दौड़ रहा है। (इसमें काला विशेषण है और घोड़े की विशेषता बताता है।)
2- कमी या हीनता बताना
विशेषण संज्ञा अथवा सर्वनाम की कमी अथवा हीनता को भी बताता है। जैसे-
खूनी आदमी (यहाँ खूनी विशेषण है जोकि आदमी (संज्ञा) की हीनता बताता है।
बीमार वृद्ध (यहां बीमार शब्द विशेषण है और संज्ञा वृद्ध की कमी बताता है।)
3- अर्थ को सीमित करना
विशेषण का एक कार्य संज्ञा की व्यापकता को सीमित करना भी है। जैसे-
खेलता बच्चा। (यहां केवल उसी बच्चे की बात हो रही है जो खेल रहा है।
पढ़ते छात्र। (यहाँ पर उन्हीं खास छात्रों के बारे में बताया जा रहा है, जोकि पढ़ रहे हैं।
4- संख्या का बोध कराना
विशेषण संख्या का बोध भी कराते हैं। जैसे-
दस खिलाड़ी, पांचवा बालक, तीन मजदूर।
यहां दस, पांचवां, तीन संख्या का बोध कराने के कारण विशेषण हैं।
5- मात्रा का ज्ञान कराना
विशेषण किसी वस्तु की मात्रा या परिमाण का भी ज्ञान कराते हैं। जैसे-
दो किलो चीनी, पांच किलो चावल, दस मीटर कपड़ा।
विशेषण के भेद- visheshan ke kitne bhed hote hain
व्यवहारिक दृष्टि से विशेषण के चार भेद होते हैं-
1- गुणवाचक विशेषण 2- संख्यावाचक विशेषण
3- परिमाणवाचक विशेषण 4- सार्वनामिक विशेषण (संकेत वाचक)
1- गुणवाचक विशेषण
जिन शब्दों से किसी पदार्थ के रंग, आकार, गुण, अवस्था, दशा, रूप आदि का बोध होता है, वे शब्द गुणवाचक विशेषण कहलाते हैं। जैसे-
- भला, बुरा, पापी, सरल, दुष्ट।
- कुरूप, सुंदर, नीच, ऊंच।
- आसमानी, लाल, पीला, हरा।
- बाहरी , ऊपरी।
- लंबा, चौड़ा, तिकोना, गोल, टेढ़ा।
2- संख्यावाचक विशेषण
जिन शब्दों से किसी वस्तु की संख्या का ज्ञान होता है, वे संख्यावाचक विशेषण कहलाते हैं। जैसे-
चार लड़के, दस गुने लोग, चतुर्थ वर्ग आदि।
संख्यावाचक विशेषण के निम्न पांच प्रकार होते हैं-
1- गणनाबोधक 2- क्रमबोधक 3- आवृत्तिबोधक 4- समुदायबोधक 5- प्रत्येकबोधक
1- गणनाबोधक– यह वस्तुओं की गिनती बतलाता है। जैसे- पांच आम।
2- क्रमबोधक– यह क्रम के अनुसार गणना का बोध कराता है। जैसे- पहला बालक, चौथी बालिका आदि।
3- आवृत्तिबोधक– यह विशेषण किसी एक वस्तु का दूसरी वस्तु से आधिक्य का अनुपात बताता है। जैसे- चौगुना धन, दुगना दिमाग, दूध से दुगना पानी आदि।
4- समुदायबोधक– यह संख्या के समुदाय या समूह का बोध कराता है। जैसे- तीनों लड़के, पांचों पेड़, चारों बहन आदि।
5- प्रत्येकबोधक– यह अनेक वस्तुओं में से हर एक का बोध कराता है। जैसे- प्रत्येक व्यक्ति, हर नेता, एक एक अपराधी।
3- परिमाणवाचक विशेषण- visheshan in hindi
वे शब्द जो किसी वस्तु के परिमाण अर्थात माप-तौल का बोध कराते हैं। वे परिमाणवाचक विशेषण कहलाते हैं। जैसे-
थोड़ा दूध, कम पानी, पूरा राज्य आदि।
परिमाणवाचक विशेषण के भी दो भेद होते हैं-
1- निश्चित परिमाणवाचक– यह वस्तुओं के निश्चित माप तौल का बोध कराता है। जैसे- तीन किलो चीनी, एक बोरी चावल।
2- अनिश्चित परिमाणवाचक– इससे किसी वस्तु की सही मात्रा का पता नहीं चल पाता। जैसे- थोड़ा दूध, कम चाय आदि।
सार्वनामिक विशेषण
ऐसे सर्वनाम जो विशेषण की तरह प्रयोग किये जाते हैं, उन्हें सार्वनामिक विशेषण कहते हैं। जैसे-
यह लड़का हमारे गांव का है। वह आदमी हमारा दुश्मन है।
प्रविशेषण
हिंदी भाषा में कुछ विशेषणों के भी विशेषण होते हैं। जिन्हें प्रविशेषण कहा जाता है। अथवा ऐसे शब्द जोकि विशेषण की भी विशेषता बताते हैं। उन्हें प्रविशेषण कहा जाता है। जैसे-
मुकेश पढ़ाई में अत्यधिक तेज है।
यहां विशेषण शब्द तेज है। किंतु इस वाक्य में विशेषण शब्द तेज के लिए भी अत्यधिक विशेषण का प्रयोग हुआ है।
विशेषण और विशेष्य- adjective in hindi
विशेषण के प्रयोग से जिस संज्ञा के गुण, धर्म का पता चलता है। उस संज्ञा को विशेष्य कहते हैं। जैसे-
सूनी जगह में डर लगता है।
यहां जगह विशेष्य है क्योंकि सूनी विशेषण से जगह का गुण प्रकट होता है।
विशेष्य के साथ विशेषण का प्रयोग दो प्रकार से होता है। विशेषण का प्रयोग या तो विशेष्य के पहले होता है या फिर विशेष्य के बाद विधेय (क्रिया) के साथ। जब विशेषण विशेष्य के पहले आता है तो उसे विशेष्य विशेषण कहते हैं।
जब वह क्रिया के साथ आता है तो उसे विधेय-विशेषण कहते हैं।
विशेषणों की रचना
विशेषण की रचना कई प्रकार से होती है। विशेषण के रूप में परिवर्तन भी होते हैं। निम्न परिस्थितियों में विशेषणों के रूप में परिवर्तन होता है–
1- रचना और रूप की दृष्टि से विशेषण विकारी एवं अविकारी दोनों होते हैं। ध्यान दें कि अविकारी विशेषणों के रूप में कोई परिवर्तन नहीं होता। ये अपने मूल रूप में ही रहते हैं। जिन्हें मूल विशेषण भी कहा जाता है। जैसे-
सुंदर, पीला, गोरा, सुडौल, भारी आदि।
संज्ञाओं में प्रत्यय लगाकर भी विशेषण की रचना की जाती है। जैसे-
प्रत्यय | संज्ञा | विशेषण |
इक | धर्म | धार्मिक |
ईला | चमक | चमकीला |
ई | गुण | गुणी |
वान | धन | धनवान |
ईय | जाति | जातीय |
3- दो या अधिक शब्दों के मेल से भी विशेषण बनते हैं। जैसे-
भला + बुरा = भला-बुरा
दुबला + पतला = दुबला-पतला
टेढ़ा + मेढ़ा = टेढ़ा-मेढ़ा
4- क्रियाओं में प्रत्यय लगाकर भी विशेषणों का निर्माण किया जाता है। जैसे-
पूज + अनीय = पूजनीय
पठ + अनीय = पठनीय
पूज और पठ क्रियाओं में अनीय प्रत्यय लगाने से विशेषण का निर्माण होता है।
5- अव्यय में प्रत्यय लगाकर भी विशेषण बनाये जा सकते हैं। जैसे-
अंदर + ऊनी = अंदरूनी
बाहर + ई = बाहरी
यहां पर अंदर और बाहर अव्यय हैं। जिनमें ऊनी और ई प्रत्यय के प्रयोग से विशेषण बनाये गए हैं।
6- सार्वनामिक विशेषण भी वचन और कारक के अनुसार उसी तरह रूपांतरित हो जाते हैं जिस तरह सर्वनाम होते हैं। जैसे-
एकवचन बहुवचन
वह बालक वे बालक
उस लड़के का उन लड़कों का
7- जब वाक्य में संज्ञा का लोप रहता है तथा विशेषण ही संज्ञा का कार्य करता है। तब विशेषण का रूपांतर संज्ञा के ढंग से होता है। सामान्य रूप से विशेषण के साथ परसर्ग न लगकर विशेष्य के साथ लगता है। लेकिन विशेषण के संज्ञा के रूप में प्रयुक्त होने पर विशेषण पद के साथ भी परसर्ग लगता है। जैसे-
बड़ों की बात माननी चाहिए।
उसने सुंदरी से पूछा।
तुलनात्मक विशेषण- visheshan in hindi
दो या अधिक वस्तुओं की विशेषताओं के मिलान को तुलना कहते हैं। इस कार्य को दर्शाने वाले विशेषण को तुलनात्मक विशेषण कहते हैं। इसकी तीन अवस्थाएं होती हैं–
1- मूलावस्था– इसमें विशेषण सामान्य रूप में प्रयोग होता है। जैसे- सुंदर।
2- उत्तरावस्था– यह सामान्य अवस्था की अपेक्षा अधिकता बताता है। जैसे- सुन्दरतर।
3- उत्तमावस्था– यह विशेषण की सर्वोच्च अवस्था बताता है। जैसे- सुंदरतम।
मूलावस्था उत्तरावस्था उत्तमावस्था
अधिक अधिकतर अधिकतम
उच्च उच्चतर उच्चतम
निम्न निम्नतर निम्नतम
निकृष्ट निकृष्टतर निकृष्टतर
प्रिय प्रियतर प्रियतम
लघु लघुतर लघुतम
वृहत वृहत्तर वृहत्तम
शुभ्र शुभ्रतर शुभ्रतम
विशेषण का पद परिचय
विशेषण के पद परिचय में भेद, लिंग, वचन, कारक और विशेष्य बताना चाहिए। जैसे-
उस पागल आदमी को इतने पैसे किसने दिए।
1- उस- सार्वनामिक विशेषण, पुल्लिंग, एकवचन, कर्मकारक, आदमी विशेष्य का विशेषण।
2- पागल- गुणवाचक विशेषण, पुल्लिंग, एकवचन, कर्मकारक, आदमी विशेष्य का विशेषण।
3- इतने- परिमाणवाचक विशेषण, पुंलिङ्ग, बहुवचन, कर्मकारक, पैसे विशेष्य का विशेषण।
विशेषण शब्द लिस्ट- visheshan in hindi examples
संज्ञा | विशेषण | संज्ञा | विशेषण |
अग्नि | आग्नेय | अधिकार | आधिकारिक |
अध्यात्म | आध्यात्मिक | अनुमान | अनुमानित |
अनुवाद | अनूदित | अनुराग | अनुरक्त |
अपमान | अपमानित | अपेक्षा | अपेक्षित |
अवरोध | अवरुद्ध | आत्मा | आत्मिक |
आदर | आदरणीय | आधार | आधारित |
आरंभ | आरंभिक | आराधना | आराध्य |
इच्छा | इच्छित, ऐच्छिक | इनाम | इनामी |
ईश्वर | ईश्वरीय | ईर्ष्या | ईर्षालु |
उत्तेजना | उत्तेजित | उत्साह | उत्साही |
उपन्यास | औपन्यासिक | उपासना | उपास्य |
उपेक्षा | उपेक्षित | ऋषि | आर्ष |
घर | घरेलू | घास | घसियारा |
घृणा | घृणित | चन्द्र | चान्द्र |
चम्पा | चम्पई | चरित्र | चारित्रिक |
छबि | छबीला | जटा | जटिल |
जल | जलीय | जवाब | जवाबी |
जंगल | जंगली | जागरण | जाग्रत, जागरूक |
झगड़ा | झगड़ालू | टकसाल | टकसाली |
ठंढ | ठंढा | ठंड | ठंडा |
डाक | डाकीय | एकता | एक |
ओज | ओजस्वी | औरत | औरताना |
अंकुर | अंकुरित | अंत | अंतिम |
अंतर | आंतरिक | अंचल | आंचलिक |
कथन | कथित | कपट | कपटी |
कल्पना | काल्पनिक | कागज | कागजी |
त्याग | त्यागी, त्याज्य | तंत्र | तांत्रिक |
थकान | थकित, थका | काया | कायिक |
कुत्सा | कुत्सित | कुकर्म | कुकर्मी |
किताब | किताबी | किस्मत | किस्मतवार |
कॉटा | कँटीला | दगा | दगाबाज |
तालू | तालव्य | तंद्रा | तंद्रिल |
तेज | तेजस्वी | तृप्ति | तृप्त |
दम्पत्ति | दाम्पत्य | कृपा | कृपालु |
दया | दयालु | खर्च | खर्चीला |
खतरा | खतरनाक | खान | खनिक |
दाह | दग्ध | ग्राम | ग्राम्य, ग्रामीण |
दिन | दैनिक | दन्त | दन्त्य |
धन | धनी | गुण | गुणी |
गुलाब | गुलाबी | धुंधला | धूमिल |
गमन | गत | धर्म | धार्मिक |
नमक | नमकीन | नगर | नागरिक |
न्याय | नैयायिक | निर्माण | निर्मित |
नियोजन | नियोजित | निष्ठा | नैष्ठिक |
मर्म | मार्मिक | मनु | मानव |
मर्द | मर्दाना | मूल | मौलिक |
मन | मानसिक | मजा | मजेदार |
मानव | मानवीय | माता | मातृक |
मामा | ममेरा | मास | मासिक |
माह | माहवार | मांस | मांसल |
मौसा | मौसेरा | भीख | भिखारी |
भ्रम | भ्रमित | भूमि | भौम |
भूगोल | भौगोलिक | भूत | भौतिक |
पाठ | पाठ्य | पान | पेय |
पुष्प | पुष्पित | पतन | पतित |
पराजय | पराजित | परीक्षा | परीक्षित |
परिवार | पारिवारिक | प्रतिबिम्ब | प्रतिबिम्बित |
पशु | पाशविक | पक्ष | पाक्षिक |
पंक | पंकिल | प्रकृति | प्राकृतिक |
प्रतिष्ठा | प्रतिष्ठित | प्रथम | प्राथमिक |
प्राची | प्राच्य | पठन | पठनीय |
पिता | पैतृक | पुस्तक | पुस्तकीय |
प्रार्थना | प्रार्थित | पुराण | पौराणिक |
प्रेम | प्रेमी | प्राण | प्राणद |
वन | वन्य | वंदन | वंदनीय |
वर्ण | वर्णित | वर्ष | वार्षिक |
वत्सल | वत्स | फेन | फेनिल |
फल | फलद, फलप्रद | बसन्त | बासन्तिक |
बाजार | बाजारू | यश | यशस्वी |
रक्त | रक्तिम | राजनीति | राजनीतिक |
राज | राजकीय | रूप | रूपवान |
राष्ट्र | राष्ट्रीय | रोब | रोमांच |
रुद्र | रौद्र | रंग | रंगा |
लज्जा | लज्जालु | लक्षण | लाक्षणिक |
लोक | लौकिक | लोहा | लौह |
लोभ | लोभी | वस्तु | वास्तविक |
वायु | वायव्य | विकार | विकृत |
विकास | विकसित | विधान | वैधानिक |
विवाह | वैवाहिक | विष्णु | वैष्णव |
वेद | वैदिक | संदेह | संदिग्ध |
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