वाणी से व्यक्तित्व की पहचान- मोरल स्टोरी हमें हमारी बोली के महत्व को बताती है। यह कहानी हमें सिखाती है कि कैसे हमारी एक गलती हमारा व्यक्तित्व बदल देती है। ऐसी motivational story न केवल हमारा मनोरंजन करती हैं। बल्कि हमारे व्यक्तित्व विकास में भी सहायक होती हैं।
एक नगर में एक सेठ रहता था। वह बहुत कड़वा बोलता था। वह सरल और मीठी बातों का जवाब भी बहुत चिड़चिड़ेपन से कटु बातों के द्वारा देता था। उसके परिवार, रिश्तेदार, मित्र आदि उसकी इस आदत से बहुत परेशान थे।
इतना ही नहीं उसके कटु स्वभाव का असर उसके व्यापार पर भी पड़ रहा था। उसके यहां ग्राहक आने से कतराने लगे थे। जिससे उसकी बिक्री कम होने लगी और उसका व्यापार घाटे में आ गया।
इससे सेठ चिंतित हुआ लेकिन उसने अपने स्वभाव की कमी पर विचार नहीं किया। उन्हीं दिनों नगर में एक महात्माजी आये। वे लोगों की समस्याएं दूर करने के लिए प्रसिद्ध थे।
एक दिन सेठ ने विचार किया कि मैं भी महात्माजी से अपनी समस्या के निराकरण का उपाय पूछूँ। एक दिन सवेरे सवेरे वह महात्माजी के पास पहुंचा। लेकिन वहां पहले से ही लोगों की भीड़ लगी थी।
कुछ समय बीतने के बाद भी जब सेठ का नम्बर नहीं आया तो वह व्यग्र हो उठा। उसे दुकान खोलने के लिए देर हो रही थी। महात्मा जी से पहले मिलने के चक्कर में उसका लोगों से झगड़ा हो गया।
कोलाहल सुनकर बाबाजी का ध्यान सेठ की ओर गया। झगड़े का कारण जानने के बाद बाबाजी ने सेठ को बुलाया और कहा, “आओ, पहले तुम्हारी बात ही सुन लेते हैं”।
सेठ ने बाबा को अपनी समस्या बताई। महात्माजी सेठ के स्वभाव के अवगुन को पहले ही जान चुके थे। वे बोले, “तुम्हारी समस्या का निराकरण बताने से पहले मैं तुम्हे एक कहानी सुनाना चाहता हूँ।
कोशल राज्य में एक बहुत ही धनी व्यापारी था। एक बार वह अपने नौकरों को लेकर एक यात्रा पर निकला। रास्ते में एक नगर के पास उसे जोर की प्यास लगी। उसने अपने नौकर को नगर से पानी लेने भेजा।
उसने नगर में जाकर देखा कि एक कुँए पर एक अंधा व्यक्ति लोगों को पानी पिला रहा है। उसने अकड़ कर कहा, “ओ अंधे एक लोटा पानी मुझे भी दे दे।” यह सुनकर अंधा व्यक्ति बहुत नाराज हुआ।
अंधे व्यक्ति ने उसी तरह अकड़ कर कहा, ‘ मैं मूर्ख और कटुभाषी नौकरों को पानी नहीं देता। ” यह सुनकर वह नौकर वापस चला आया। जब सेठ ने यह बात सुनी तो उसने स्वयं जाकर देखने का निर्णय लिया।
जब उसने अंधे व्यक्ति को पानी देते देखा तो उसने कहा, ” बाबा में बहुत प्यास हूँ। क्या आप मुझे एक लोटा पानी देने की कृपा करेंगे। अंधे ने प्रसन्नतापूर्वक कहा, “आइये बैठिये सेठजी और आराम से जल पीजिये।”
पानी पी लेने के बाद सेठ ने अंधे व्यक्ति से पूछा, “बाबा! आपने कैसे जाना कि मैं सेठ हूँ जबकि आप देख नहीं सकते।” तब अंधे व्यक्ति ने उत्तर दिया कि वाणी व्यक्तित्व की पहचान होती है। किसी व्यक्ति के स्वभाव का अंदाजा उसकी वाणी से सहज ही लगाया जा सकता है।
कहानी सुनाने के बाद महात्मा जी बोले, “बेटा, इसी प्रकार तुम्हारी भी वाणी ही तुम्हारी सारी समस्याओं की जड़ है। अपनी वाणी में सुधार करो जिससे तुम्हारे व्यक्तित्व में सुधार होगा। फिर तुम्हारे सारे काम सही हो जाएंगे।”
यह सुनकर सेठ को अपनी गलती का अहसास हो गया। उसने अपने स्वभाव को बदलने का निश्चय किया।
कहानी से सीख | Moral
वाणी से व्यक्तित्व की पहचान- मोरल स्टोरी हमें सिखाती है कि हमारी वाणी हमारे व्यक्तित्व का सबसे महत्वपूर्ण अंग है। इससे हम शत्रु भी बना सकते हैं और मित्र भी। कबीरदास जी ने भी कहा है-ऐसी बानी बोलिये, मन का आप खोय। औरन को शीतल करे, आपहुँ शीतल होय।।
हिन्दू धर्म, व्रत, पूजा-पाठ, दर्शन, इतिहास, प्रेरणादायक कहानियां, प्रेरक प्रसंग, प्रेरक कविताएँ, सुविचार, भारत के संत, हिंदी भाषा ज्ञान आदि विषयों पर नई पोस्ट का नोटिफिकेशन प्राप्त करने के लिए नीचे बाई ओर बने बेल के निशान को दबाकर हमारी वेबसाइट को सब्सक्राइब जरूर करें। आप सब्सक्राइबर बॉक्स में अपना ईमेल लिखकर भी सबस्क्राइब कर सकते हैं।