आज हम आपके लिए श्रीकृष्ण आरती- आरती कुंजबिहारी की लेकर आये हैं। जोकि सबसे ज्यादा गायी जाने वाली आरती है। पूजन में आरती का बहुत महत्व है।
श्रीकृष्ण आरती- आरती कुंजबिहारी की
आरती कुंजबिहारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की।।
आरती कुंजबिहारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की।।
गले में बैजंती माला,
बजावै मुरली मधुर बाला,
श्रवण में कुण्डल झलकाला,
नंद के आनंद नंदलाला।।
गगन सम अंग कांति काली,
राधिका चमक रही आली,
लतन में ठाढ़े बनमाली,
भ्रमर सी अलक..
कस्तूरी तिलक..
चंद्र सी झलक..
ललित छवि श्यामा प्यारी की।
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की।
आरती कुंजबिहारी की॥
कनकमय मोर मुकुट बिलसै,
देवता दरसन को तरसैं,
गगन सों सुमन रासि बरसै,
बजे मुरचंग..
मधुर मिरदंग..
ग्वालिन संग..
अतुल रति गोप कुमारी की।
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की।
आरती कुंजबिहारी की॥
जहां ते प्रकट भई गंगा,
सकल मन हारिणि श्री गंगा,
स्मरन ते होत मोह भंगा,
बसी शिव सीस..
जटा के बीच..
हरै अघ कीच..
चरन छवि श्रीबनवारी की।
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की।
आरती कुंजबिहारी की॥
चमकती उज्ज्वल तट रेनू,
बज रही वृंदावन बेनू,
चहुं दिसि गोपि ग्वाल धेनू,
हंसत मृदु मंद..
चांदनी चंद..
कटत भव फंद..
टेर सुन दीन दुखारी की।
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की।
आरती कुंजबिहारी की॥
आरती कुंजबिहारी की।
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥
आरती विधि
आरती को पापनाशिनी कहा गया है। यदि पूजन के दौरान कोई त्रुटि भी हो जाये तो भाव और श्रद्धापूर्वक आरती कर लेने से सभी गलतियां क्षमा हो जाती हैं। आरती पूजा का एक आवश्यक अंग है।
अतः पूजा के बाद आरती जरूर करनी चाहिए। आरती सदैव खड़े होकर कपूर अथवा घी की बत्ती से करनी चाहिए। बत्तियों की संख्या विषम यानी एक, तीन या पांच होनी चाहिए। आरती के बाद जयकारा लगाना चाहिए।
श्रीकृष्ण आरती का महत्व
भगवान श्रीकृष्ण को योगेश्वर और आदिगुरु कहा जाता है। उनके बालस्वरूप की पूजा पूरे विश्व में होती है। कृष्णावतार सर्वाधिक लोकप्रिय और सर्वमान्य अवतारों में है। आरती कुंज बिहारी की नामक यह श्रीकृष्ण आरती सबसे प्रसिद्ध है।
भगवान श्रीकृष्ण की आरती और पूजन जीवन के संघर्षों से लड़ने के लिए सम्बल प्रदान करता है। जगतगुरु के रूप में उनकी शिक्षाएं हमारा मार्गदर्शन करती हैं। उनके द्वारा प्रदत्त गीता का ज्ञान मानव जीवन के लिए सर्वश्रेष्ठ मार्गदर्शक है।
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