मोरल स्टोरी- राक्षस का बगीचा
आज हम आपके लिए मशहूर लेखक आस्कर वाइल्ड की कहानी मोरल स्टोरी- राक्षस का बगीचा लेकर आये हैं। यह hindi story रोचक और मनोरंजक होने के साथ साथ एक गंभीर शिक्षा भी प्रदान करती है। आइये शुरू करते हैं-
मोरल स्टोरी- राक्षस का बगीचा
एक शहर में बीचोबीच एक सुंदर बगीचा था। जिसमें एक बहुत बड़ा घास का मैदान था। उसमें तरह तरह के पेड़ लगे थे। जो घनी छाया और फल फूल प्रदान करते थे।
छोटी छोटी फूलों की झाड़ियां थीं। जिनमें छोटे और सुंदर जीव जंतु रहते थे। वहीं पर आडू के बारह पेड़ थे। जिनमें बसंत में सुंदर और मनमोहक फूल लगते थे। जो अपने समय पर मीठे फलों में बदल जाते थे।
उनके फल इतने मीठे होते थे कि लोग उन्हें रसीले आडू कहते थे। उन पेड़ों पर तरह तरह की चिड़ियाँ रहती थीं। जोकि सुंदर गीत गाती थीं। स्कूल से लौटते समय बच्चे उस बगीचे में रुक कर खेलते थे।
बच्चों के आने से जैसे पूरा बगीचा ही खिल उठता था। चिड़िया सुंदर गीत गाने लगतीं। पेड़ खुशी से फल और फूलों की बारिश करने लगते।
बच्चे भी आनंदित होकर कहते कि यहां खेलने में जो आनंद है वह कहीं और नहीं। कोई उन्हें रोकने वाला नहीं था। क्योंकि बगीचे का मालिक बाहर गया हुआ था।
एक दिन जब बच्चे वहां खेल रहे थे तो उन्हें गुस्से से भरी एक आवाज सुनाई दी- “तुम लोग यहां क्या कर रहे हो?” जब उन्होंने पलट कर देखा तो एक लंबा चौड़ा राक्षस जैसा आदमी उनकी ओर गुस्से में बढ़ा आ रहा था।
उसे देखकर बच्चे डर के मारे वहां से भाग लिए। जाते जाते उन्होंने उस राक्षस को कहते सुना “यह मेरा बगीचा है। मैं यहां किसी को नहीं आने दूंगा। दुबारा यहां मत दिखाई पड़ना।”
उसने बगीचे के चारों ओर एक ऊंची चहारदीवारी बनवा दी। बाहर एक बोर्ड लगवा दिया कि इस बगीचे में प्रवेश करना मना है। बच्चे वहां से गुजरते और चहारदीवारी और बोर्ड को देखकर उदास हो जाते।
वे पुराने दिनों को याद करते जब वे बगीचे में आनंद से खेलते थे। इधर वह राक्षस अकेले बगीचे में घूमता और सोचता कि इस बार बसंत में इस बाग के सारे फल फूलों का आनंद मैं अकेले ही लूंगा। वह बेसब्री से बसंत का इंतजार करने लगा।
नियत समय पर बसंत आया। सबके बगीचे फल फूल से लद गए। चारों ओर प्राकृतिक छटा बिखर गई। लेकिन राक्षस के बगीचे में बसंत नहीं आया। उसका बगीचा फल फूल और चिड़ियों से सुनसान बना रहा।
राक्षस अपने कमरे की खिड़की से बगीचे को देखता और सोचता कि क्या कारण है कि सबके बगीचे में बसंत आता है और मेरे बगीचे में नहीं? इस तरह कई बसंत बीत गए। लेकिन राक्षस के बगीचे से बसंत रूठा ही रहा।
एक बसंत की सुबह वह सोकर उठा तो उसे बगीचे में चिड़ियों को चहचहाहट सुनाई पड़ी। उसने खिड़की से झांककर देखा तो उसके आश्चर्य का ठिकाना न रहा। पूरा बगीचा सुंदर फल फूलों से ढंका था।
उसने देखा कि चहारदीवारी में एक बड़ा सा छेद हो गया है। जिसमें से घुस कर बच्चे बगीचे में आ गए हैं और खेल रहे हैं। बच्चों के खेलने से मानो पूरा बगीचा आनन्दित हो रहा है। अब उसे अहसास हुआ कि बच्चों को मना करके उसने बहुत बड़ी गलती की थी।
वह बाहर निकल आया और बच्चों के साथ खेलने लगा। उसने चहारदीवारी भी गिरवा दी और फिर किसी को बगीचे में आने से नहीं रोका। फिर उस दिन के बाद से उसके बगीचे से बसंत कभी नहीं रूठा।
कहानी से सीख |Moral of Story
आस्कर वाइल्ड की मोरल स्टोरी- राक्षस का बगीचा नामक यह कहानी हमें शिक्षा देती है कि स्वार्थी मनुष्य से खुशियां उसी प्रकार रूठ जाती हैं। जैसे राक्षस के बगीचे से बसंत रूठ गया। इसलिये अगर जीवन में खुश रहना चाहते हो तो निजी स्वार्थ को त्यागकर दूसरों को खुशियां बाटों। तुम्हारे हिस्से की खुशियां अपने आप तुम्हारे पास आ जायेंगीं।
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राक्षस का बगीचा नामक यह मोरल स्टोरी आपको कैसी लगी? कमेंट कर के बताइये।
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