baba neem karoli– नीम करोली बाबा की कहानी पढ़कर आप चमत्कृत हुए बिना नहीं रह सकते। लेकिन भारत भूमि हमेशा से ही चमत्कारी संतों और महापुरुषों की भूमि रही है। नीम करोली बाबा baba neem karoli ऐसे ही एक चमत्कारी सिद्ध संत थे। जिनके भक्त भारत से ज्यादा अमेरिका और अन्य यूरोपीय देशों में हैं। यहां तक कि आईफोन बनाने वाली कम्पनी के मालिक स्टीव जॉब्स और फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग ने भी नीम करोली बाबा से प्रेरणा और मार्गदर्शन प्राप्त किया था।
हालीवुड की प्रसिद्ध अभिनेत्री जूलिया रॉबर्ट्स तो महाराजजी से इतना प्रभावित हुई कि उन्होंने हिन्दू धर्म ही अपना लिया।
नीम करोली बाबा इतने सरल और आडम्बर रहित थे कि प्रथम बार देखकर कोई उनकी दिव्यता का अंदाजा नहीं लगा सकता था। वे उच्च कोटि के सिद्ध संत और हनुमान भक्त थे। उनके अनुयायी तो उन्हें हनुमान जी का अवतार भी कहते हैं। तुलसीदास के बाद वे पहले ऐसे संत थे जिन्हें हनुमान जी के साक्षात दर्शन हुए थे। उनके बारे में कई महान विभूतियों के विचार निम्नवत थे–
देवरहा बाबा के अनुसार-
“नीम करोली जैसे संत कई युगों में धरती पर आते हैं। मरे व्यक्ति को प्राण लौटाने की शक्ति नीम करोली जैसे संत के पास ही है।”
करपात्री महाराज के अनुसार-
“संत तो कई हुए लेकिन सिद्ध संत नीम करौली बाबा ही हुए।”
शिवानंद आश्रम ऋषिकेश के अध्यक्ष स्वामी चिदानंद के अनुसार-
“महाराज जी पावर ऑफ पावर्स और लाइट ऑफ लाइट्स थे।”
भारत के संत श्रृंखला के अंतर्गत आज हम आपको नीम करोली बाबा baba neem karoli के जीवन और चमत्कारों miracles से परिचित कराने का प्रयास करेंगे।
नीम करोली बाबा का जीवन परिचय | baba neem karoli biography in hindi
प्रारम्भिक जीवन- neeb karori baba
महाराज जी का जन्म सन 1900 ई0 के लगभग फिरोजाबाद जिले के अकबरपुर ग्राम में हुआ था। इनका वास्तविक नाम लक्ष्मीनारायण शर्मा था। इनके पिता का नाम श्री दुर्गाप्रसाद शर्मा था। इनकी प्रारंभिक शिक्षा किरहीनं ग्राम में हुई। 11 वर्ष की अल्पायु में ही इनका का विवाह एक सम्पन्न ब्राम्हण परिवार की कन्या से हो गया था। लेकिन विवाह के कुछ समय बाद ही इन्होंने घर छोड़ दिया।
सन्यासी जीवन का प्रारंभ- baba neem karori
घर छोड़ने के बाद Neem Karoli baba गुजरात चले गए। वहां पहले एक वैष्णव मठ में दीक्षा लेकर साधना की। उसके बाद अन्य कई स्थानों पर साधना की। 17 वर्ष की आयु में ही इन्हें ईश्वर के दर्शन और ज्ञान प्राप्त हो गया था। लगभग 9 वर्षों तक गुजरात में साधना करने के बाद महाराजजी भ्रमण पर निकले और वापस फिरोजाबाद के नीम करोली नामक गाँव में रुके। यहीं जमीन में गुफा बनाकर पुनः साधनारत हुए।
यहां उन्होंने गोबर की बनी एक हनुमान प्रतिमा की भी स्थापना की। जोकि अब बहुत प्रसिद्ध है। उसपर सिंदूर चढ़ाने से हर मनोकामना पूर्ण होती है। यहां उनकी ख्याति दिन पर दिन बढ़ने लगी।
नीम करोली बाबा का गृहस्थ आश्रम में पुनः प्रवेश
किसी परिचित व्यक्ति के द्वारा बाबा के पिता को इनके निवास स्थान का पता चला तो उन्होंने वहां पहुचकर बाबा को गृहस्थ आश्रम का पालन करने की आज्ञा दी। वे चुपचाप पिता की आज्ञा मानकर पुनः गृहस्थ आश्रम में प्रविष्ट हुए। इस प्रकार बाबा नीम करौली की कहानी किसी चमत्कार (miracle) से कम नहीं है।
गृहस्थ आश्रम में baba neem karoli को दो पुत्र और एक पुत्री की प्राप्ति हुई। जिनके नाम क्रमशः अनेग सिंह शर्मा, धर्म नारायण शर्मा और बेटी गिरजा हैं। गृहस्थ आश्रम के दौरान बाबा सामाजिक और धार्मिक कार्यों में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेते थे।
लेकिन मन से सन्यासी नीम करोली बाबा का मन ज्यादा दिन गृहस्थ आश्रम में नहीं लगा। सन 1958 के लगभग महाराजजी ने पुनः घर त्याग दिया। और बहुत से स्थानों का भ्रमण करते हुए कैंची ग्राम पहुंचे।
नीम करोली बाबा कैंची धाम kainchi dham की स्थापना | neem karoli baba ashram
सन 1962 में बाबा भ्रमण करते हुए नैनीताल से 20 किलोमीटर दूर पंतनगर में स्थित कैंची नामक ग्राम में पहुंचे। यहां सड़क पर दो कैंची की तरह तीखे मोड़ होने के कारण इसका नाम कैंची पड़ा। यह स्थान सुरम्य पहाड़ी वादियों और देवदार के विशाल और घने वृक्षों के बीच में स्थित है। यह स्थान महाराजजी को इतना पसंद आया कि उन्होंने यहां आश्रम स्थापना का संकल्प कर लिया।
15 जून सन 1964 को यहां एक भव्य आश्रम (neem karoli baba nainital) की स्थापना हुई। तब से प्रतिवर्ष यह 15 जून को स्थापना दिवस मनाया जाता है। जिसमें एक भव्य मेले और भंडारे का आयोजन बाबा के समय से अनवरत चल रहा है। इस दिन यहां अपार भीड़ होती है। यहां देवी देवताओं के पांच विशाल मंदिर हैं। जिनके एक हनुमान जी का भव्य मंदिर भी है। आज भी मान्यता है कि यहां आने वाला कोई भी भक्त कभी खाली हाथ नहीं जाता।
फेसबुक के मालिक मार्क जुकरबर्ग, एप्पल के मालिक स्टीव जॉब्स, हॉलीवुड अभिनेत्री जूलिया रॉबर्ट्स यहां से आशीर्वाद प्राप्त कर के ही सफलता के आकाश में पहुँच गए। यहां आने वाले भक्तों में विदेशी खासकर अमेरिकी लोगों की संख्या सर्वाधिक होती है।
वैसे तो बाबा के आश्रम कई स्थानों पर स्थापित हो चुके थे। लेकिन नीम करोली बाबा को कैची धाम सर्वाधिक प्रिय था। अपना अधिकतर समय उन्होंने कैंची धाम kainchi dham में ही व्यतीत किया।
देह त्याग- baba neem karoli
महाराज जी ने अपने देह त्याग के संकेत पहले ही दे दिए थे। वे एक कॉपी में प्रतिदिन राम नाम लिखते थे। मृत्यु के कुछ दिन पूर्व उन्होंने वह कॉपी आश्रम की प्रमुख श्रीमाँ को दे दी और कहा अब इसमें तुम राम नाम लिखना।
9 सितंबर सन 1973 को baba neem karoli कैंची धाम से आगरा के लिए निकले। रास्ते में उन्होंने अपना प्रिय थर्मस ट्रेन से बाहर फेंक दिया। गंगाजली रिक्शेवाले को यह कहकर दे दी कि किसी चीज का मोह नहीं करना चाहिए।
10 सितंबर 1973 को मथुरा स्टेशन पर पंहुचते ही महाराज जी बेहोश हो गए। उन्हें तुरंत रामकृष्ण मिशन अस्पताल ले जाया गया। वही उन्होंने 10 सितंबर 1973 अनन्त चतुर्दशी की रात्रि में इस नश्वर शरीर को त्याग दिया।
महाराज जी का व्यक्तित्व
नीम करोली बाबा बहुत ही साधारण तरीके से रहते थे। तिलक, माला आदि भी नहीं धारण करते थे। हमेशा एक कम्बल ओढ़े रहते थे। वेशभूषा और बोलचाल से कोई अंदाज नहीं लगा सकता था कि वे एक सिद्धपुरुष हैं। स्वभाव से वे बड़े ही हंसमुख थे। अपने अनुयायियों से हंसी मजाक करते रहते थे।
वे लोगों को अपने पैर छूने से मना करते थे। बाबा जी कहते, ” मैं कुछ नहीं हूँ। पैर छूने हैं तो हनुमानजी के छुओ।” इतने सरल थे कि पैर छूने की कोशिश करने वालों को अपने आस पास बैठे किसी भी व्यक्ति की पैर छूने को कह देते थे।
बाबा के कृतित्व- baba neem karoli
बाबा ने अपने जीवनकाल में 12 मंदिरों का निर्माण कराया और उनके भक्तों ने उनके बाद 9 प्रमुख मंदिरों का निर्माण कराया। इनमें लखनऊ, चेन्नई, नीम करोली, कैंची धाम, वृन्दावन के मंदिर प्रमुख हैं।
जब बाबा नीम करोली कोई मंदिर बनवाने का संकल्प लेते थे तो पता नहीं कहाँ से दान देने वालों की भीड़ उमड़ पड़ती थी और भव्य मंदिर का निर्माण हो जाता था। मंदिर निर्माण के बाद बाबा उन्हें ट्रस्ट को सौंप देते थे।फिर उनसे मतलब नहीं रखते थे।
बाबाजी ने सामाजिक सहयोग में भी बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया था। वे प्रायः भंडारों का आयोजन करते थे। वे सेवा को ही सबसे बड़ा धर्म कार्य मानते थे। ऐसी है नीम करौली बाबा की कहानी ।
नीम करौली बाबा baba neem karoli के अनुयायी
बाबा के अनुयायी भारत में ही नहीं वरन अमेरिका और यूरोपीय देशों में भी हैं। वैसे तो उनकी लिस्ट बहुत लंबी है। परंतु कुछ प्रमुख नाम इस प्रकार हैं- पं जवाहर लाल नेहरू, पूर्व राष्ट्रपति वी0 वी0 गिरि, बिड़ला समूह के जुगुल किशोर बिड़ला, उत्तर प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री पं0 गोविंद बल्लभ पंत, डॉ0 सम्पूर्णानन्द, पूर्व उपराष्ट्रपति गोपाल स्वरूप पाठक, राज्यपाल रहे के0 एम0 मुंशी, राजा भदरी, महाकवि सुमित्रा नंदन पंत, अंग्रेज जनरल मकन्ना आदि।
neem karoli baba steve jobs- बाबा और स्टीव जॉब्स
प्रमुख विदेशी अनुयायियों में एप्पल कंपनी के फाउंडर स्टीव जॉब्स जब अपनी असफलताओं के कारण डिप्रेशन में आ गए थे और उन्हें कोई रास्ता नहीं सूझ रहा था। तो अपने एक मित्र की सलाह पर वे कैंची धाम आये।
हालांकि बाबा पहले ही समाधि ले चुके थे। लेकिन बाबा की मूर्ति के सामने बैठकर उन्हें जो प्रेरणा मिली। उसने उन्हें विश्व के सबसे लोकप्रिय और प्रीमियम आईफोन का आविष्कारक बना दिया। जिसे खरीदने के लिए अमीर लोग लाइन में लगते हैं।
इसी प्रकार एक बार जब फेसबुक अपने बुरे दौर में गुजर रही थी। इसके मालिक मार्क जुकरबर्ग फेसबुक को बेचने का फैसला कर चुके थे। लेकिन किसी ठोस निर्णय पर नहीं पहुंच पा रहे थे। तब स्टीव जॉब्स की सलाह पर वे भी कैंची धाम आये और दो दिन रुके थे। यहां से लौटने बाद जो हुआ वह इतिहास है। सब जानते हैं कि फेसबुक आज विश्व का सबसे बड़ा सोशल मीडिया प्लेटफार्म है।
हॉलीवुड अभिनेत्री जूलिया रॉबर्ट्स ने बाबा को स्वप्न में देखा और उनसे इतना प्रभावित हुईं की हिन्दू धर्म स्वीकार कर लिया। आप उन्हें हिन्दू रीति रिवाजों यथा मंगलसूत्र, सिंदूर और पूजा पाठ करते देख सकते हैं।
बाबा नीम करौली के विचार एवं 10 शिक्षाएं (वचन) | 10 neem karoli baba quotes
1- गुरु कोई भी हो सकता है। एक पागल या एक साधारण व्यक्ति भी। लेकिन जब आप उसे गुरु मान लें तो फिर वह भगवान से भी बड़ा है।
2- सभी धर्म समान हैं। सभी एक ही ईश्वर की ओर ले जाते हैं। ईश्वर सब जगह है।
3- पूरा ब्रम्हांड हमारा घर है। इसमें रहने वाले सभी जीव हमारा परिवार हैं। ईश्वर को किसी विशेष रूप में नहीं बल्कि सभी चीजों में देखो।
4- वासना, लालच, क्रोध और मोह ये सब नरक की ओर ले जाते हैं।
5- भगवान की सबसे अच्छी सेवा हर क्षण उनका ध्यान करना है।
6- यह संसार एक भ्रम है। फिर भी आप इसके लिए परेशान है। क्योंकि आप इसके मोह में बंधे हुए हैं।
7- उदासी, दुख, दर्द, बीमारी और किसी के अंतिम संस्कार के समय आप जीवन की कई सच्चाइयां सीखते हैं।
8- सभी सांसारिक चीजों को अपने दिमाग से निकाल दो। अगर आप अपने दिमाग को कंट्रोल नहीं कर सकते तो आप ईश्वर को कैसे महसूस करोगे।
9- अगर आप सबसे प्रेम नहीं कर सकते तो आप अपना लक्ष्य प्राप्त नहीं कर सकते।
10- सबसे प्रेम करो, सबकी सेवा करो, ईश्वर को कभी मत भूलो और सदा सत्य बोलो।
महाराज जी के चमत्कार | neem karoli baba miracles
बाबा हमेशा लोगों से घिरे रहते थे।।लोग अपनी समस्याएं लेकर बाबा के पास आते थे और बाबा उन्हें दूर करके उन्हें संतुष्ट कर देते थे। एक बार किसी संत ने बाबा से कहा कि आप इन सांसारिक लोगों को इतना महत्व क्यों देते हैं ? तब बाबा ने बहुत ही सुंदर उत्तर दिया था। उन्होंने कहा,”डॉक्टर के पास रोगी ही आते हैं, स्वस्थ व्यक्ति नहीं।”
Neem karoli baba सिद्ध संत थे। कहीं भी प्रकट हो जाना, गायब हो जाना, रूप बदल लेना, मन की बात जान लेना, भूत, भविष्य की घटनाओं का सटीक वर्णन कर देना आदि अनेक चमत्कारी कार्य वे अनायास ही कर देते थे।
वैसे तो उनके चमत्कारों के अनेकों किस्से हैं। सबका वर्णन सम्भव नहीं है तथापि कुछ जिनका प्रमाण मौजूद है उनका वर्णन यहां किया जा रहा है.
नीम करोली बाबा की लीला
नीम करोली नाम कैसे पड़ा ?
गृह त्याग के बाद भ्रमण के दौरान एक बार महाराजजी एक स्टेशन से बिना टिकट ट्रेन पर चढ़े और सीधे प्रथम श्रेणी के डिब्बे में बैठ गए। थोड़ी देर बाद एक अंग्रेज टीटी टिकट चेक करने आया। एक जटाजूटधारी अस्तव्यस्त साधू को बिना टिकट प्रथम श्रेणी में बैठा देखकर वह आगबबूला हो गया।
अगले स्टेशन पर उसने उस साधू को जबरन उतार दिया। साधू वहीं अपना चिमटा गाड़कर बैठ गया। उसके बाद ड्राइवर के लाख प्रयास के बाद भी ट्रेन आगे नहीं बढ़ी। अंग्रेज अधिकारी आये। इंजन में कोई खराबी नहीं निकली। पूछताछ में यात्रियों ने बताया कि टीटी ने एक साधू को ट्रेन से उतार दिया था।
उसके बाद ट्रेन नहीं चली। साधू को ढूंढा गया तो वह थोड़ी दूर पर बैठा मिला। अधिकारियों ने साधू से क्षमा मांगकर उसे फिर से ट्रेन में बैठने के लिए कहा। साधू ने मना कर दिया। फिर यात्रियों के अनुरोध करने पर साधू ट्रेन में बैठा। साधू के बैठते ही ट्रेन चल पड़ी।
वह साधु बाबा लक्ष्मणदास यानी नीम करोली महाराज थे। जिस जगह ट्रेन रुकी थी। उसका नाम नीम करोली था। इसी घटना के बाद वे नीम करोली बाबा के नाम से प्रसिद्ध हुए।
बाबा रामदास की कथा | Ramdas Baba Story
एक अंग्रेज मनोवैज्ञानिक रिचर्ड एलपर्ट अपनी समस्याओं के कारण डिप्रेसन का शिकार हो गए और नशे के आदी हो गए। घूमते फिरते एक बार वे कैंची धाम पहुंचे। वहां बाबा का मजाक उड़ाने के लिए उन्होंने बाबा को एलएसडी की नशे की 2 गोलियां देकर कहा, “बाबा! इन्हें खाकर देखो, इनसे स्वर्ग का रास्ता खुल जाता है।”
Neem Karoli Baba ने उससे पूछा, ” तुम्हारे पास ऐसी कितनी गोलियां हैं?” उसने बीस गोलियां निकालकर बाबा के हाथ में दे दीं। बाबा एक बार में सारी गोलियां खा गए। और शांत भाव से अपना काम करते रहे।
यहां यह बता देना आवश्यक है कि एलएसडी एक अंत्यंत नशीला पदार्थ है जिसकी अधिक मात्रा लेने से मृत्यु भी हो सकती है। बाबा ने तो बीस गोलियां एक साथ ही खा ली थी।
अंग्रेज आश्चर्यचकित बैठा बाबा के मरने का इंतजार कर रहा था। लेकिन कई घंटे बीत जाने के बाद भी जब बाबा पर कोई असर नहीं हुआ। तो वह हाथ जोड़कर महाराजजी के आगे नतमस्तक हो गया। ऐसे ही अनेक चमत्कारों से भरी है नीम करोली बाबा की कहानी।
महाराज जी ने उससे कहा कि तुम इन बेकार की चीजों में अपना जीवन क्यों नष्ट कर रहे हो? इन सांसारिक कष्टों से क्यों भयभीत हो? बाबा के परमज्ञान युक्त वचनों से रिचर्ड एलपर्ट की आंखें खुल गईं। उसने अपना जीवन बाबा की सेवा और आध्यात्मिक उन्नति के लिए समर्पित कर दिया।
महाराज जी ने उसे बाबा रामदास नाम दिया। रामदास बाबा अमेरिका में बहुत बड़े आध्यात्मिक गुरु और मार्गदर्शक के रूप में विख्यात हुए। उन्होंने नीम करौली बाबा के जीवन और चमत्कारों पर अंग्रेजी में एक पुस्तक लिखी जिसका नाम “मिरेकल ऑफ लव Miracle of love है।
रामदास बाबा की वेबसाइट आज भी बाबा के उपदेशों और चमत्कारों से भरी है। baba ramdas रामदास बाबा का स्वर्गवास 22 दिसंबर सन 2019 को अमेरिका के हवाई में हुआ था।
बुलेटप्रूफ कम्बल का चमत्कार। neem karoli baba miracles
एक बार बाबा नीम करोली फतेहगढ़ में रहने वाले अपने भक्त एक बुजुर्ग दंपति के घर अचानक पहुंचे। बाबा ने कहा आज वे उनके यहां ही रुकेंगे। दंपति बहुत खुश हुए। जो भी सर्वश्रेष्ठ घर में उपलब्ध था। वह महाराज जी की सेवा में प्रस्तुत किया।
खा पीकर बाबा कम्बल ओढ़कर सो गए। बुजुर्ग दंपति भी सोने वाले थे कि उन्होंने बाबा के कराहने की आवाज सुनी। आवाज सुनकर वे आकर बाबा के तख्त के पास बैठ गए। बाबा को वे जगा भी नहीं सकते थे। क्योंकि maharaj ji ने किसी भी परिस्थिति में उन्हें जगाने से मना किया था।
पूरी रात बाबा इस तरह कराहते रहे। जैसे कोई उन्हें मार रहा हो। सुबह महाराजजी उठे और अपना कम्बल लपेटकर बुजुर्ग को देते हुए कहा कि इसे नदी में फेंक आओ और इसे खोलकर कदापि मत देखना। बुजुर्ग दंपति कम्बल लेकर चले तो वह भारी लगा और उसमें लोहे की चीजों की खनखनाहट की आवाज आ रही थी।
उन्होंने सोचा कि बाबा ने तो खाली कम्बल दिया था फिर इसमें लोहा कहाँ से आ गया? लेकिन जिज्ञासा के बावजूद उन्होंने कम्बल बिना खोले नदी में प्रवाहित कर दिया। जाने से पहले बाबा ने कहा कि परेशान मत होना। एक माह बाद तुम्हारा बेटा वापस आ जायेगा।
उन बुजुर्ग दंपति का इकलौता बेटा ब्रिटिश सेना में था। द्वितीय विश्वयुद्ध में वह बर्मा फ्रंट पर तैनात था। एक माह बाद जब उनका बेटा वापस आया तो उसने जो कहानी सुनाई वह अविश्वसनीय थी।
उसने बताया कि एक रात सेना की उनकी टुकड़ी जापानी सेना से चारों ओर से घिर गई थी। भीषण गोलीबारी हुई। जिसमें उसके सारे साथी मारे गए। रात भर गोलियां चलती रहीं। लेकिन उसे एक भी गोली नहीं लगी।
ऐसा महसूस हो रहा था जैसे किसी ने उसके सामने कोई अदृश्य दीवार खड़ी कर दी थी। जिसके पार कोई गोली नहीं आ पाई। सुबह जब ब्रिटिश सेना की और टुकड़ियां आ गयी। तब वह वह सुरक्षित निकल पाया।
यह उसी रात की बात थी जब बाबा उनके घर आये थे। अब उन्हें बाबा के रात भर कराहने मतलब समझ आया। बाबा रात भर उनके बेटे की रक्षा कर रहे थे। उसे लगने वाली गोलियां वे स्वयं झेल रहे थे। इस घटना का वर्णन बाबा रामदास ने मिरेकल ऑफ लव पुस्तक में किया है। ऐसी है चमत्कारी बाबा नीम करोली की कहानी।
महिला के प्राण वापस लाये# बाबा नीम करोली
प्यारेलाल गुप्ता बरेली ने बताया था कि एक बार मेरी पत्नी की तबियत बहुत खराब हो गयी। बचने आशा नहीं थी। मेरे पास बाबा के स्मरण के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं बचा था। तभी किसी से पता चला कि नीम करौली बाबा बरेली में डॉक्टर भंडारी के घर आये हैं।
मैं भागकर वहां पहुंचा, लेकिन तब तक बाबा कहीं और जा चुके थे। दिन भर ढूंढने के बाद भी बाबा का कहीं पता नहीं चला। मैं निराश होकर एक पेड़ के नीचे बैठकर दुखी मन से बाबा का ध्यान कर रहा था। तभी एक व्यक्ति ने आकर मुझे बताया कि जिन बाबाजी को तुम ढूंढ रहे हो। वे कमिश्नर लाल के घर पर हैं।
मैं भाग कर वहां पहुंचा। लेकिन चपरासी ने मुझे अंदर जाने नहीं दिया। मैं बाहर ही खड़ा होकर बाबा से मन ही मन दीनतापूर्वक प्रार्थना करने लगा। थोड़ी देर बाद बाबा अचानक बाहर निकल आये। सीधे मेरे पास आकर बोले, “रिक्शा ला, तेरे घर चलते हैं।”
बाबा ने कमिश्नर साहब की गाड़ी में बैठने से मना कर दिया। मेरे साथ रिक्शे से मेरे घर पहुंचे। वे सीधे मेरी पत्नी के पलंग के पास जाकर कुर्सी पर बैठ गए और अपने पैर ऊपर पलंग पर रख दिये।
मेरी पत्नी ने बड़ी कठिनाई से किसी तरह अपना सिर बाबा के चरणों में रख दिया। ऐसा करते ही उसकी नब्ज छूट गयी। घर में रोना पीटना शुरू हो गया। लेकिन बाबा जोर से चिल्ला कर बोले, “नहीं, नहीं, मरी नहीं है। आनन्द में है।”
ऐसा कहकर बाबा ने मेरी पत्नी के गाल पर हल्की सी चपत मारी और वह होश में आ गयी। रात 10:30 बजे बाबा ने हिमालया कम्बल मांग कर ओढ़ा और अपना कम्बल मेरी पत्नी के ऊपर डाल कर चले गए।
दूसरे दिन बाबा फिर आये। उनके चरण छूते ही पत्नी के प्राण फिर निकल गए। बाबा के हाथ लगाते ही वह फिर जीवित हो गयी। बाबा ने कहा, ” माई मुझे बहुत परेशान करती है। मुझे बैठना पड़ जाता है।” इसके बाद मेरी पत्नी बिना किसी इलाज के स्वस्थ हो गयी।
आंखों की रोशनी वापस आ गयी# neem karoli baba miracles
नीम करोली बाबा की कहानी चमत्कारों से भरी है। एक बुजुर्ग व्यक्ति उन दिनों बाबा की सेवा में थे। एक दिन उनकी दोनों आंखों की रोशनी चली गयी। ये बात बाबा को बताई गई तो उन्होंने कहा, “समर्थ गुरु रामदास ने अपनी माँ की आंखें ठीक की थीं। दुनिया में ऐसा कोई दूसरा संत नहीं है, जो यह कर सके।”
इसके बाद नीम करोली महाराज baba neem karoli ने एक अनार मंगा कर खाया और अपना कम्बल सिर से ओढ़ लिया। उनकी आंखों से खून निकल रहा था। थोड़ी देर बाद बाबा ने कम्बल हटाया तो सब कुछ सामान्य था। आश्चर्यजनक रूप से उन बुजुर्ग की आंखें भी ठीक हो गईं थीं।
बाबा ने उनसे कहा कि अब तुम अपने कारोबार से रिटायर हो जाओ और अपनी आध्यात्मिक उन्नति की ओर ध्यान दो। अगले दिन जब डॉक्टर बुजुर्ग की आंखें चेक करने आये तो उनकी आंखों को रोशनी वापस देखकर बोले यह असंभव है। किसने ऐसा किया? जब उन्हें बताया गया कि बाबा की कृपा से यह संभव हुआ। उन्होंने बाबा से मिलना चाहा लेकिन बाबा जा चुके थे।
डॉक्टर साहब भागते हुए स्टेशन पहुंचे तो बाबा ट्रेन में बैठ चुके थे। जैसे ही डॉक्टर उनके सामने पहुंचे बाबा ने लोगों से कहा, “देखो ये कितने काबिल डॉक्टर हैं, इन्होंने एक बुजुर्ग की आंखें ठीक कर दीं।” बाबा हमेशा ऐसा ही करते थे। वे अपने किये चमत्कारों को किसी दूसरे का काम बता देते थे।
हालांकि वे बुजुर्ग बाबा की आज्ञा का पालन नहीं कर सके। थोड़े दिन बाद वे पुनः अपने काम पर लौट गए। जिसके बाद उनके आंखों की रोशनी फिर से चली गयी।
(बाबा रामदास, मिरेकल ऑफ लव, प्रथम संस्करण1979, पेज नं0- 318 से उद्धृत)
तेल की जगह पानी का प्रयोग-बाबा नीम करोली
बाबा के एक भक्त प्रदीप माथुर जिन्हें नीम करोली म्हाराज के साथ कुछ समय रहने का सौभाग्य प्राप्त हुआ था वे एक घटना का वर्णन करते हैं।
एक बार बाबा कैंची धाम (kainchi dham) से कहीं जा रहे थे। ड्राइवर ने बताया कि गाड़ी में पेट्रोल बहुत कम है। ज्यादा दूर नहीं चल पाएगी। बाबा ने कहा चलो देखा जाएगा। कुछ दूर जाकर गाड़ी का पेट्रोल खत्म हो गया। बाबा ने देखा पास में एक नदी बह रही थी। महाराज जी ने ड्राइवर से एक डिब्बा पानी नदी से लेकर गाड़ी में डालने को कहा। पानी डालने के बाद गाड़ी चल पड़ी और सकुशल गंतव्य तक पहुंच गई।
भंडारे में घी की जगह पानी का प्रयोग# neem karoli baba miracles
नीम करौली बाबा के पटना के भक्त सुधीर सिन्हा ने बताया कि एक बार कैंची धाम में भंडारा चल रहा था और घी खत्म हो गया। अभी भारी भीड़ खाने के लिए इंतज़ार कर रही थी। जब बाबा को पता चला तो उन्होंने एक भक्त से कहा कि जाओ पास वाली नदी से दो टीन घी उधार मांग लाओ। (नीम करोली बाबा की कहानी)
भक्त गया और दो टीन नदी से पानी भर लाया। कड़ाह में डालते ही पानी घी में बदल गया। भंडारा पूरा होने के बाद महाराजजी ने दो टीन घी मंगवाकर नदी में डलवा दिया।
इशारा देकर प्राण बचाये# baba neem karoli
अल्मोड़ा के दिवाकर पंत की तबियत एक दिन अचानक खराब हो गयी। रात होते होते स्थिति नाजुक हो गयी। पहाड़ में रात के समय डॉक्टर को बुलाना संभव नहीं था। सब सुबह होने का इंतजार कर रहे थे।उनकी पत्नी का रो रो कर बुरा हाल था।
अचानक उन्हें लगा कि बाबा नीम करौली neem karoli baba उनका कंधा पकड़ कर हिला रहे हैं। वे एक दवा देकर कह रहे हैं कि ये दवा पिला दो यह ठीक हो जाएगा। बदहवासी में उसे यह सोचने का भी ध्यान नहीं रहा कि महाराजजी यहां कैसे आ गये और केवल उसे ही क्यों दिख रहे हैं?
उसने जल्दी से उठकर वही दवा दिवाकरजी को पिला दी। दवा पीने के बाद दिवाकर जी की हालत और बिगड़ गयी। वे हिंसक हो उठे और अनापशनाप बकने लगे। परिवार के लोग पत्नी को कोसने लगे कि पता नहीं कौन सी दवा पिला दी।
पत्नी को खुद भी नहीं पता था कि कौन सी दवा पिलाई है, इसका नाम क्या है? ये कहाँ से आई और क्या काम करती है? किसी तरह सुबह हुई। डॉक्टर आये चेकअप हुआ और डॉक्टर ने बताया कि अब चिंता की कोई बात नहीं।
रात को पिलाई दवा की शीशी देखकर डॉक्टर ने पूछा यह दवा किसने दी? सबने पत्नी की ओर इशारा किया। वह बेचारी अपराधबोध से ग्रस्त बुरी तरह रोये जा रही थी। डॉक्टर ने कहा,” बेटी तुमने बहुत अच्छा काम किया । इस दवा का नाम कोरोमाइन है। इसी ने तुम्हारे पति के प्राण बचा लिए।