Hello friends, Today I have come with Best Motivational Poems In Hindi With Pictures. These great inspirational poems will definitely energies you.
दोस्तों, आज हम आपके लिए Motivational Poems In Hindi With Pictures आए हैं। ये प्रेरणादायक कविताएं आपको उत्साह और ऊर्जा से भर देंगी। ये short motivational poems in hindi इस निराश भरे माहौल में आपको शक्ति प्रदान करेंगी। ऐसा मुझे पूरा विश्वास है। ये कविताएं नई हैं और आपने इन्हें न तो पहले कहीं पढ़ा होगा, न ही सुन होगा।
अपना भाग्य सँवारो
इस कविता में मनुष्य को जीवन के संघर्षों से लड़ने की प्रेरणा प्रदान की गई है। मनुष्य का आत्मबल और भुजबल ही सदैव उसके काम आता है। जीवन बाधाओं से भरा है। लेकिन जो उन बाधाओं का पूरे दमखम से मुकाबला करता है। उसे मंजिल अवश्य मिलती है। यही इस कविता का सारांश है–
अपनी मेहनत के बल पर तुम अपना भाग्य सँवारो।
अंधकार से डरना क्या, बस एक दिया तुम बारो।।
संकल्पशक्ति के साथ हमेशा आगे बढ़ते रहना।
चाहे जितने तूफ़ां आएं, कदम एक न डिगना।।
असफलता के सागर से तुम अपनी नाव उबारो।।
अंधकार से डरना क्या, बस एक दिया तुम बारो।।
कदम-कदम पर बाधाओं से तुमको लड़ना होगा।
कंकड़-पत्थर, कांटे चुनकर आगे बढ़ना होगा।
असफलता से जुड़ी सफलता इस पर तनिक विचारो।
अंधकार से डरना क्या, बस एक दिया तुम बारो।।
समयचक्र बतलाता हमको हरदम चलते रहना।
अवनति का कारण है मित्रों रुकना और ठहरना।
लक्ष्य तुम्हें आवाज दे रहा मुझको पा लो यारों।
अंधकार से डरना क्या, बस एक दिया तुम बारो।।
जलता दीपक हमें बताता लड़ो अकेले तम से।
भाग्य उसी का साथ निभाता जो लड़ता दमखम से।
नया सवेरा आएगा तुम उसकी ओर निहारो।
अंधकार से डरना क्या, बस एक दिया तुम बारो।।
पेड़ की सीख
मनुष्य जीवन के संघर्ष से परेशान हो जाता है। लेकिन वह नहीं सोचता कि ज्यादातर समस्याएं उसकी खुद की उत्पन्न की हुई हैं। जीवन जीने का सही तरीका क्या है? यह पेड़ बताता है–
एक रोज एक पेड़ से मुलाकात हुई।
दास्तां-ए-दिल की और कुछ बात हुई।।
मैंने कहा मैं जी रहा हूँ।
जीने के लिए जिंदगी से लड़ रहा हूँ।।
वह पेड़ ठठाकर हँस पड़ा और बोला।
अरे मनुज तुम जीना नहीं जानते।
क्योंकि लड़ते हो बिना बात गड़े मुर्दे उखाड़ के।
मुर्दा जैसी घटनाओं को याद रखते हो।
लगाते हो स्वयं आग आप ही जलते हो।
जीने के नाम पर अत्याचार करते हो।
धर्म की आड़ ले आपस में लड़ते हो।
और कहते हो मैं जी रहा हूँ।
जीने के लिए जिंदगी से लड़ रहा हूँ।।
वो पेड़ बोला मुझे देखो।
जीता हूँ तुम्हारे लिए, मरता हूँ तुम्हारे लिए
तुम्हारी तरह मैं घटनाओं को जिंदा नहीं रखता।
उन्हें सूखे पत्तों की तरह फेंक देता हूँ।
नई कोंपलों से जीवन की नई ज्योति जलाता हूँ।
यही जिंदगी है, जिसे तुम जी रहे हो।
जिसके लिए तुम जिंदगी से लड़ रहे हो।।
मृत्यु का स्वागत
यह कविता जीवन के अंतिम सत्य को बताती है। बुढ़ापा मानव जीवन का अंतिम सत्य है। जवानी के दिनों में मानव अपनी और परिवार की जरूरतों को पूरा करने में और सुख सुविधाओं के इंतजाम में व्यस्त हो जाता है। उसे याद भी नही रहता की एक दिन बुढ़ापा भी आएगा। इसलिए जीवन के सामर्थ्य के दिनों में प्रत्येक पल का लुत्फ उठाना चाहिए। ताकि बुढ़ापे में कोई मलाल न रहे। बुढ़ापे का बहुत ही मार्मिक चित्रण करती यह कविता–
तन मन सब जर्जर हुआ, हुआ शक्ति का ह्रास।
मृत्यु तुम्हारा स्वागत है, आओ मेरे पास।।
सूख चुका आंखों का पानी, नजरें हैं कमजोर।
कौन हमारी मदद करे, अब देखें किसकी ओर।
शिथिल अंग संग पड़ा खाट पर, अटकी केवल सांस।
मृत्यु तुम्हारा स्वागत है, आओ मेरे पास।।
अंग अंग में दर्द भरा है, नहीं है मन को चैन।
जैसे तैसे दिन कट जाता, काटे कटे न रैन।
नहीं बचा कुछ भी शरीर में, यह तन जिंदा लाश।
मृत्यु तुम्हारा स्वागत है, आओ मेरे पास।।
संगी साथी छूट गए हैं, लगता हमसे दूर गए हैं।
फेरे जिनके संग लिए, वो भी जग से रूठ गए हैं।
तन्हाई में पड़ा सोचता, बचा नहीं कुछ खास।
मृत्यु तुम्हारा स्वागत है, आओ मेरे पास।।
कवि के बारे में
ये कविताएं श्री हरिशंकर दुबे जी द्वारा रचित हैं। दुबेजी यथार्थवाद के कवि हैं जो सामाजिक समस्याओं, कुरीतियों पर हिन्दी और अवधी भाषा में कविताएं और व्यंग्य लिखते हैं।