hindi varnamala-हिंदी वर्णमाला की पूरी जानकारी
हिंदी भाषा और साहित्य के ज्ञान के लिए हिंदी वर्णमाला hindi varnamala की पूरी जानकारी होना आवश्यक है। हिंदी वर्णमाला क्या है? hindi varnamala में कितने अक्षर (hindi letters) होते हैं? hindi alphabet में स्वर-व्यंजन क्या हैं और इनकी संख्या कितनी है?
इस लेख में हिंदी वर्णमाला से संबंधित सभी प्रश्नों का उत्तर देने का प्रयत्न किया गया है। यह लेख हिन्दी भाषा ज्ञान के इच्छुक लोगों के अलावा प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्रों के लिए भी समान रूप से उपयोगी है।
It is necessary to have complete knowledge of Hindi alphabet (Hindi varnamala) for knowledge of Hindi language and literature. What is Hindi alphabet? How many letters (hindi letters) are there in hindi varnamala? What are vowel consonants in hindi alphabet and what is their number?
This article attempts to answer all questions related to the Hindi alphabet. This article is equally useful for those who are interested in knowledge of Hindi language and for students preparing for competitive examinations.
हिंदी वर्णमाला क्या है? #hindi varnamala
किसी भी भाषा की अभिव्यक्ति ध्वनियों के माध्यम से होती है। हम जो बोलते हैं, वे ध्वनियां हैं। इन्ही के माध्यम से हम अपने विचारों और भावनाओं को सामने उपस्थित व्यक्ति तक पहुंचाते हैं।
लेकिन अगर हम विचार या भावनाएं लिखना चाहते हैं तो इन ध्वनियों को लिखने के लिए हमें उनको चिन्ह (symbol) के रूप में प्रस्तुत करना होगा।
ध्वनियों के इन्हीं चिन्हों को वर्ण (letter) कहते हैं। इस प्रकार भाषा की सबसे छोटी इकाई ध्वनि या वर्ण है। वर्णों के समूह को अक्षर कहते हैं। “न क्षरति सः अक्षरः” अर्थात जिसका नाश नहीं होता वही अक्षर (syllable) है।
सभी वर्णों या अक्षरों को मिलाकर वर्णमाला varnamala बनती है। अतः वर्णों के व्यवस्थित समूह को वर्णमाला (varnmala) कहते हैं। इस लेख में हम आपको हिंदी वर्णमाला की पूरी जानकारी देंगें.
हिंदी वर्णमाला (hindi varnamala) में कितने वर्ण या अक्षर होते हैं?
मूलतः हिंदी वर्णमाला में उच्चारण के आधार पर 45 वर्ण हैं। जिनमें से 10 स्वर और 35 व्यंजन हैं। परंतु लेखन के आधार पर 52 वर्ण हैं। जिनमें 13 स्वर, 35 व्यंजन और 4 संयुक्त व्यंजन हैं। वस्तुतः वर्णों की संख्या के संबंध में कई मत हैं।
कुछ वैयाकरण हिंदी वर्णमाला hindi varnmala में वर्णों की कुल संख्या 47 बताते हैं। जिनमें 10 स्वर और 35 व्यंजन तथा 2 दूसरी भाषा के आगत व्यंजन ज़ और फ़ को शामिल करते हैं।
इसके अतिरिक्त एक अन्य मत के अनुसार वर्णमाला varnmala में कुल 55 वर्ण माने गए हैं। जिनमें लेखन और मुद्रण में प्रयोग होने वाले सभी पूर्ण वर्णों को शामिल किया गया है। तथापि हिंदी की वर्णमाला में 52 वर्णों का मत ही अधिक प्रचिलित और ठीक प्रतीत होता है।
वर्णों के प्रकार- Type of hindi letters
हिंदी वर्णमाला (varnamala hindi) में वर्ण दो प्रकार से परिभाषित किये गए हैं-
(1) स्वर (2) व्यंजन

स्वर (Vowel)
जिन वर्णों को स्वतंत्र रूप से बोला जाता है। वे स्वर कहलाते हैं। अर्थात जिन वर्णों के उच्चारण के लिये किसी दूसरे वर्ण की सहायता की आवश्यकता नहीं होती।
स्वरों की संख्या को लेकर भी मत भिन्न हैं। परंपरागत रूप से इनकी संख्या 13 मानी गयी है। परंतु उच्चारण की दृष्टि से इनकी संख्या 10 है। यथा-
अ आ इ ई उ ऊ ए ऐ ओ औ
स्वरों का वर्गीकरण- varnamala in hindi
हिंदी वर्णमाला की पूरी जानकारी के अंतर्गत स्वरों का वर्गीकरण तीन आधार पर किया जा सकता है-
(1) उच्चारण के आधार पर
(2) जीभ के प्रयोग के आधार पर
(3) हवा के नाक या मुँह से निकलने के आधार पर
(4) मुँह खुलने के आधार पर
(1) उच्चारण के आधार पर स्वरों का वर्गीकरण
ह्रस्व स्वर
जिनके उच्चारण में एक मात्रा का समय अर्थात कम समय लगता है। उन्हें ह्रस्व स्वर कहते हैं। जैसे- अ इ उ
दीर्घ स्वर- हिंदी वर्णमाला
जिनके उच्चारण में दो मात्रा अर्थात ह्रस्व से दूना समय लगता है। इस कारण उन्हें द्विमात्रिक या दीर्घ स्वर कहते हैं। जैसे- आ ई ऊ ए ऐ ओ औ
प्लुत स्वर
जिन स्वरों के उच्चारण में एक मात्रा से तीन गुना ज्यादा समय लगता है। उन्हें प्लुत या त्रिमात्रिक स्वर कहा जाता है। इनके लिए s निशान का प्रयोग किया जाता है। इनका प्रयोग चिल्लाने, पुकारने, रोने, गाने आदि में होता है। जिन्हें पुराने समय की पुस्तकों में देखा जा सकता है। जैसे– राsssम।
(2) जीभ के प्रयोग के आधार पर स्वरों का वर्गीकरण-hindi alphabets
स्वरों के उच्चारण के समय जीभ का जिस प्रकार प्रयोग होता है। उसके आधार पर हम स्वरों को निम्न तीन भागों में बांट सकते हैं-
(I) अग्र स्वर
जिन स्वरों का उच्चारण जीभ के अग्र भाग से किया जाता है। ये हैं- इ, ई, ए, ऐ।
(II) मध्य स्वर-
इन स्वरों का उच्चारण जीभ के मध्य भाग से किया जाता है। ये हैं- अ
(III) पश्च स्वर
इनका उच्चारण जीभ के पिछले भाग से होता है। आ, उ, ऊ, ओ, औ।
(3) हवा के नाक या मुँह से निकलने के आधार पर-hindi varnmala
निरनुनासिक या मौखिक स्वर
ऐसे स्वर जिनके उच्चारण में हवा केवल मुख से निकलती है। अ, आ, इ आदि।
अनुनासिक स्वर- हिंदी वर्णमाला की पूरी जानकारी
जिन स्वरों के उच्चारण में हवा मुँह के साथ साथ नाक से भी निकलती है। उन्हें अनुनासिक स्वर कहते हैं। अँ, आँ, इँ आदि।
व्यंजन (consonent) किसे कहते हैं?
जिन वर्णों के उच्चारण स्वरों के बिना नहीं हो सकता। वे व्यंजन कहलाते हैं। प्रत्येक व्यंजन में अ वर्ण मिला होता है। जैसे– क+अ =क, च+अ =च आदि।
हिंदी वर्णमाला के अंतर्गत पारंपरिक रूप से व्यंजनों की सँख्या 33 मानी गयी है। द्विगुण व्यंजन ढ़ और ड़ को जोड़ देने पर इनकी संख्या 35 हो जाती है। व्यंजनों को निम्न प्रकार से वर्गीकृत किया जा सकता है–
(1) स्पर्श व्यंजन
जब व्यंजनों का वर्गीकरण ध्वनि निकलने के स्थान के आधार पर किया जाय। ये निम्न प्रकार हैं-
(i) कंठय व्यंजन
इनकी ध्वनि कंठ या गले से निकलती है। क, ख, ग, घ, ङ।
(ii) तालव्य व्यंजन
इनकी ध्वनि तालु से निकलती है। च, छ, ज, झ, ञ।
(iii) मूर्धन्य व्यंजन- hindi varnamala
मूर्धा यानी मुंह के अंदर की छत का अगला भाग जहां से इन वर्णों की ध्वनि निकलती है।
ट, ठ, ड, ढ, ण।
(iv) दन्त्य व्यंजन
इन वर्णों की आवाज दांत के पास से निकलती है। त, थ, द, ध, न।
(v) ओष्ठ्य व्यंजन
इनकी ध्वनि ओठों से निकलती है। प, फ, ब, भ, म।
(2) घोषत्व के आधार पर व्यंजनों का वर्गीकरण- hindi varnamala
घोष का अर्थ है उच्चारण में स्वरतांत्रिकाओं में कंपन के आधार पर निम्न प्रकार से व्यंजनों का वर्गीकरण किया जा सकता है-
अघोष व्यंजन
जिन ध्वनियों के उच्चारण में स्वरतांत्रिकाओं में कंपन न हो। क, ख, च, छ, ट, ठ, त, थ, प, फ।
सघोष व्यंजन- हिंदी वर्णमाला की पूरी जानकारी
जिनके उच्चारण में स्वरतांत्रिकाओं में कंपन हो। ग, घ, ङ, ज, झ, ञ, ड, ढ, ण, द, ध, न, ब, भ, म।
(3) प्राणत्व के आधार पर वर्गीकरण
हिंदी वर्णमाला की पूरी जानकारी के अंतर्गत यहां पर प्राण का अर्थ हवा से है। अर्थात किस वर्ण के उच्चारण में कितनी हवा बाहर निकलती है। इसके आधार पर व्यंजनों का वर्गीकरण निम्न प्रकार किया जाता है-
अल्पप्राण व्यंजन- hindi letters
जिन व्यंजनों के उच्चारण में मुंह से कम मात्रा में हवा बाहर निकलती है।
क, ग, ङ, च, ज, ञ, ट, ड, ण, त, द, न, प, ब, म।
महाप्राण व्यंजन
जिनके उच्चारण में मुंह से अधिक हवा बाहर निकले।
ख, घ, छ, झ, ठ, ढ, थ, ध, फ, भ।
(4) अन्तस्थ व्यंजन- varnamala hindi
जिन वर्णों का उच्चारण स्वरों और व्यंजनों के बीच स्थित हो। वे अन्तस्थ व्यंजन कहलाते हैं।
य- इसका उच्चारण स्थान तालु है।
र- इसका उच्चारण स्थान दन्तमूल या मसूड़ा है।
ल- इसका उच्चारण स्थान दन्तमूल या मसूड़ा है।
व- इसका उच्चारण स्थान दांत और निचला ओंठ है।
(5) ऊष्म या संघर्षी व्यंजन- हिंदी वर्णमाला
जिनका उच्चारण करते समय वायु किसी स्थान विशेष पर घर्षण करते हुए ऊष्मा पैदा करे। यथा-
श- तालु
ष- मूर्धा
स- दन्तमूल
ह- स्वरयंत्र या कौव्वा
(6) उत्क्षिप्त व्यंजन
ऐसे वर्ण जिनके उच्चारण में जीभ मूर्धा का स्पर्श करके तेजी से नीचे आती है। वे उत्क्षिप्त व्यंजन कहलाते हैं। जैसे- ढ़, ड़
(7) संयुक्त व्यंजन
क्ष, त्र, ज्ञ और श्र ये संयुक्त व्यंजन हैं। क्योंकि ये दो वर्णों के योग से बनते हैं। यथा-
क+ष = क्ष
त+र = त्र
ज+ञ= ज्ञ
श+र = श्र
(8) अयोगवाह वर्ण- hindi varnamala
अनुस्वार (•) और विसर्ग (:) को स्वरों के साथ (अं, अः) लिखा जाता है। किंतु ये स्वर नहीं हैं। क्योंकि इनका उच्चारण व्यंजनों की तरह ही स्वर की सहायता से होता है। ये व्यंजन भी नहीं हैं। क्योंकि इनकी गणना स्वरों के साथ कि जाती है।
स्वरों की तरह ही इनको लिखने के लिए मात्राओं का प्रयोग किया जाता है। स्वर और व्यंजन दोनों के साथ इनका अयोग है। फिर भी अर्थ का वहन करने के कारण इनको अयोगवाह वर्ण कहा जाता है।
हिंदी वर्णमाला की पूरी जानकारी के इस लेख में आपको वर्णमाला hindi varnamala के विषय में पूर्ण जानकारी देने का प्रयत्न किया गया है। आशा है की यह लेख आपके लिए लाभदायक सिद्ध होगा।