आज हम आपके लिए 525+ हिंदी मुहावरे- hindi muhavare नामक पोस्ट लाये हैं। जिसमें हिंदी के 525 से अधिक मुहावरे, उनके अर्थ और वाक्य प्रयोग संकलित हैं। यह hindi muhavare class 5 से लेकर class 12 तक के विद्यार्थियों के लिए बहुत उपयोगी हैं।
मुहावरे वे वाक्य या वाक्यांश होते हैं, जो अपने शब्दों का सामान्य अर्थ न प्रकट करके एक विशेष अर्थ प्रस्तुत करते हैं। मुहावरों के प्रयोग से वाक्य का सौंदर्य बढ़ जाता है। लेकिन मुहावरों के प्रयोग से पूर्व उनका सही अर्थ जान लेना आवश्यक है। अन्यथा वाक्य में अर्थ का अनर्थ हो सकता है।
मुहावरे (muhavare) की परिभाषा
मुहावरा मूल रूपसे अरबी भाषा का शब्द है। जिसका अर्थ होता है अभ्यास करना। सम्भवतः अरबी भाषा का मुहावरः शब्द उर्दू में मुहाविरा और हिंदी में मुहावरा के रूप में प्रयुक्त होता है।हिंदी के कुछ विद्वान इसे वाग्धारा या रोजमर्रा भी कहते है।
1- लाक्षणिक या क्वचित व्यंग्यार्थ में रूढ़ वाक्य मुहावरा होता है। (वृहत हिंदी कोश)
2- वह वाक्यांश जो अपने सामान्य अर्थ को न प्रस्तुत करके किसी विशेष अर्थ को प्रस्तुत करता है और प्रायः क्रिया का काम करता है। उसे मुहावरा या वाग्धारा कहते हैं।
3- एक ही प्रकार के असंख्य अनुभवों को प्रसंग के अनुसार प्रकाशित करने वाली चतुर उक्ति को मुहावरा कहते हैं। (डॉ0 बच्चू लाल अवस्थी ‘ज्ञान’)
4- ऐसा वाक्यांश जो सामान्य अर्थ के बजाय किसी विलक्षण अर्थ की प्रतीति कराए, मुहावरा कहलाता है।
(डॉ0 वासुदेव नंदन प्रसाद)
5- मुहावरा भाषा विशेष में प्रचलित उस अभिव्यक्त इकाई को कहते हैं जिसका प्रयोग प्रत्यक्ष अर्थ से अलग रूढ़ि लक्ष्यार्थ के लिए किया जाता है।
(डॉ0 भोला नाथ तिवारी)
मुहावरे के लक्षण
इन परिभाषाओं के आधार पर मुहावरों के निम्न लक्षण प्रकट होते हैं-
1- मुहावरे एक वाक्यांश हैं।
2- वाक्यांश के सामान्य अर्थ का कोई महत्व नहीं होता है।
3- वाक्यांश किसी विलक्षण, लाक्षणिक, विशेष या व्यंग्यपूर्ण अर्थ को प्रस्तुत करता है।
मुहावरों की विशेषताएं
मुहावरों की कुछ विशेषताएं होती हैं। जिनका ध्यान रखकर ही इन्हें सही ढंग से प्रयुक्त किया जा सकता है–
1- मुहावरे पूर्ण वाक्य नहीं होते हैं।
2- मुहावरों का प्रयोग स्वतंत्र रूप से न होकर प्रसंग के अनुसार होता है।
3- मुहावरों के शब्द बदले नहीं जा सकते।
4- मुहावरों का सामान्य अर्थ नहीं विशिष्ट अर्थ लिया जाता है।
5- मुहावरे प्रसंग के अनुसार अर्थ देते हैं।
6- मुहावरे देश, काल और समाज के अनुसार बनते हैं।
7- हिंदी भाषा के अधिकतर मुहावरों का संबंध शरीर के किसी अंग से होता है।
हिंदी के प्रसिद्ध मुहावरे और उनके अर्थ और वाक्य प्रयोग
1- अपना सा मुंह लेकर रह जाना – काम न बनना।
वाक्य प्रयोग- महेश ने परीक्षा में मेरी कॉपी से नकल करने की कोशिश की। मेरे मना कर देने पर वह अपना सा मुंह लेकर रह गया।
2- उंगली पकड़कर पहुंचा पकड़ना – थोड़ा सहारा पाकर ज्यादा पाने की कोशिश करना।
वाक्य प्रयोग- राम ने एक व्यक्ति को ट्रेन में अपनी सीट पर बैठने की जगह दे दी तो वह पूरी सीट पर कब्जा करने लगा। यह तो वही बात हुई कि उंगली पकड़कर पहुंचा पकड़ना।
3- अंत बिगाड़ना – परिणाम खराब करना।
वाक्य प्रयोग- आफिस में चोरी करके मोहन ने अपना अंत बिगाड़ लिया।
4- अंकुश रखना – नियंत्रण रखना।
वाक्य प्रयोग- संत महात्मा अपनी इंद्रियों पर अंकुश रखते हैं।
5- अन्न जल उठाना या जल उठाना – सत्यता की परीक्षा देना, कसम खाना।
वाक्य प्रयोग- भिखारी बोला, “मैने चोरी नहीं की है, इसके लिए मैं जल उठाने को भी तैयार हूं।
6- अन्न जल उठना – किसी स्थान से संबंध टूटना।
वाक्य प्रयोग- नासिक से ट्रांसफर होने पर सुरेश बोला, “चलो, अब यहां से भी अपना अन्न जल उठ गया।
7- अंगारों पर पैर रखना – खतरनाक कार्य करना।
वाक्य प्रयोग- ऑफिस में घूस लेने वालों को बेनकाब करना अंगारों पर पैर रखने के समान है।
8- अंधा होना – कुछ न सूझना।
वाक्य प्रयोग- वह अपने बेटे के प्यार में इतना अंधा हो गया है कि उसे बेटे की गलतियां भी नहीं दिखाई देतीं।
9- अक्ल का दुश्मन होना – मूर्ख होना।
वाक्य प्रयोग- कमल ऐसे मूर्खतापूर्ण काम करता है कि उसे अक्ल का दुश्मन कहना गलत नहीं है।
10- अंगारों पर लोटना – ईर्ष्या और जलन से कुढ़ना।
वाक्य प्रयोग- मोहन के प्रमोशन की बात सुनकर उसका पड़ोसी अंगारों पर लोटने लगा।
11- अगर-मगर करना – टालमटोल करना।
वाक्य प्रयोग- प्रत्येक काम मे अगर-मगर करना ठीक नहीं है।
12- अपना उल्लू सीधा करना – स्वार्थ सिद्ध करना।
वाक्य प्रयोग- रमेश येन केन प्रकारेण केवल अपना उल्लू सीधा करने की कोशिश में रहता है।
13- अंधेरे में तीर चलाना – लक्ष्यविहीन प्रयास करना, अंदाजे लगाना।
वाक्य प्रयोग- यह मिस्त्री कुछ नहीं जानता बस अंधेरे में तीर चला रहा है।
14- अग्नि परीक्षा – कठिन जांच
वाक्य प्रयोग- आईएस बनने से पहले कड़ी अग्नि परीक्षा से गुजरना पड़ता है।
15- अक्ल का पुतला – बहुत बुद्धिमान।
वाक्य प्रयोग- अपनी हरकतों से रामू ने सिद्ध कर दिया कि वह सचमुच अक्ल का पुतला है।
16- अक्ल चकराना – कुछ समझ में न आना।
वाक्य प्रयोग- ऐसी खतरनाक स्थिति देखकर मेरी अक्ल चकरा गयी।
17- अरण्य रोदन – जिस पर कोई ध्यान न दे।
वाक्य प्रयोग- मूर्ख व्यक्ति के सामने ज्ञान की बात करना अरण्य रोदन के समान है।
18- अंगारे उगलना – क्रोध में कटु बोलना।
वाक्य प्रयोग- अपने विषय में अनर्गल बातें सुनकर वह अंगारे उगलने लगा।
19- उंगली पर नचाना – वश में करना।
वाक्य प्रयोग- आज के अधिकारी मंत्रियों की उंगली पर नाचते हैं।
20- अंधे के हाथ बटेर – अयोग्य को सफलता मिलना।
वाक्य प्रयोग- दसवीं पास राकेश को इतनी अच्छी नौकरी मिलना अंधे के हाथ बटेर लगना है।
21- अंधे को दिया दिखाना – व्यर्थ कार्य करना।
वाक्य प्रयोग- आजकल के नवयुवकों को नैतिकता का पाठ पढ़ाना अंधे को दिया दिखाना है।
22- अपना ही राग अलापना – अपनी कहना, दूसरे की न सुनना।
वाक्य प्रयोग- अपना ही राग अलापते रहोगे या मेरी भी सुनोगे।
23- अपनी खिचड़ी अलग पकाना – सबसे अलग व्यवहार करना।
वाक्य प्रयोग- यदि सभी लोग अपनी अपनी खिचड़ी अलग पकाएंगे तो देश की उन्नति कैसे होगी ?
24- अपने पाँव पर कुल्हाड़ी मारना – जानबूझकर अपना काम खुद ही बिगाड़ना।
वाक्य प्रयोग- अपने बॉस से झगद करके उसने खुद अपने पैर पर कुल्हाड़ी मार ली।
25- अपने पैरों पर खड़ा होना – स्वावलम्बी होना।
वाक्य प्रयोग- वह अपनी शादी तब करेगा, जब अपने पैर पर खड़ा हो जाएगा।
26- अपने मुंह मियां मिट्ठू बनना – अपनी प्रसंशा स्वयं करना।
वाक्य प्रयोग- अपने मुंह मियां मिट्ठू बनना अच्छी बात नहीं है।
27- अंधे की लकड़ी या लाठी होना – एकमात्र सहारा होना।
वाक्य प्रयोग- मनोज अपने वृद्ध माता पिता के लिए अंधे की लाठी है।
28- अंक में भरना – प्यार से गोद में भरना।
वाक्य प्रयोग- वृद्ध पिता ने सालों बाद घर आये पुत्र को अपने अंक में भर लिया।
29- अंगूठा दिखाना – ऐन मौके पर धोखा देना।
वाक्य प्रयोग- जरूरत के समय प्रीति की सहेली ने उसे अंगूठा दिखा दिया।
30- अंधों में काना राजा – अयोग्य लोगों के बीच कम योग्य भी प्रतिष्ठित होता है।
वाक्य प्रयोग- अनपढ़ लोगों के बीच पांचवीं पास भी अंधों में काना राजा है।
31- अक्ल पर पर्दा या पत्थर पड़ना – बुद्धि भ्रष्ट हो जाना।
वाक्य प्रयोग- रावण इतना विद्वान था जरूर उसकी अक्ल पर पत्थर पड़ गए थे जो उसने सीता का अपहरण किया।
32- अंगार बरसना – कड़ी धूप होना।
वाक्य प्रयोग- जून की गर्मी में मानो अंगार बरसते हैं।
33- अंगूर खट्टे होना – असफलता पर पर्दा डालना।
वाक्य प्रयोग- लोमड़ी काफी कोशिश के बाद भी जब अंगूर नहीं पा सकी तो उसने कहा कि अंगूर खट्टे हैं।
34- अंग-अंग टूटना – थकावट से शरीर दर्द होना।
वाक्य प्रयोग- जितेंद्र ने दिन भर काम किया, फलस्वरूप उसके अंग-अंग टूट रहे हैं।
35- अंधेर नगरी – कोई नियम कानून न होना।
वाक्य प्रयोग- क्या अंधेर नगरी है ! इतनी महंगाई कहीं नहीं है।
36- अंग-अंग खिल उठना – खुश हो जाना।
वाक्य प्रयोग- परीक्षा प्रथम श्रेणी में पास करके उसका अंग-अंग खिल उठा।
37- अंगूठी का नगीना – सुंदर और सजीला।
वाक्य प्रयोग- अरे श्याम के बारे में क्या कहना ! वह तो अंगूठी का नगीना है।
38- अंजर- पंजर ढीला होना – सभी अंगों या पुर्जों का ढीला होना।
वाक्य प्रयोग- कानूनी लड़ाई हार जाने के बाद उसके अंजर पंजर ढीले हो गये।
39- अंडे सेना – बेकार में घर में बैठना।
वाक्य प्रयोग- घर में अंडे सेने से अच्छा है कि कुछ काम करो।
40- अंतड़ियां कुलबुलाना – जोरों की भूख लगना।
वाक्य प्रयोग- खाना लाओ, मेरी अंतड़ियां कुलबुला रही हैं।
.41- अंदर करना या होंना – जेल में बंद करना।
वाक्य प्रयोग- प्रशासन चुस्त दुरुस्त हो तो अपराधियों को अंदर होना ही पड़ता है।
42- अंधेरे में रखना – भेद छुपाना
वाक्य प्रयोग- इस विषय में कुछ न बताकर तुमने मुझे अंधेरे में रखा।
43- अक्ल का अंधा – मूर्ख
वाक्य प्रयोग- गवाही में उस अक्ल के अंधे ने कुछ का कुछ कह दिया।
44- अटकलें भिड़ाना – उपाय सोचना।
वाक्य प्रयोग- इस मुसीबत से छुटकारा पाने के लिए मैं अटकलें भिड़ाता रहा, लेकिन कुछ हल नहीं निकला।
45- अठखेलियाँ सूझना – हंसी-ठिठोली करना।
वाक्य प्रयोग- इस कठिन परिस्थिति में भी तुम्हें अठखेलियाँ सूझ रहीं हैं।
46- अंगद का पैर होना – बिल्कुल न हिलना।
वाक्य प्रयोग- ये प्रदर्शनकारी तो अंगद के पैर की तरह जम गए हैं।
47- अन्तरके पट खोलना – दिल की बात कह देना।
वाक्य प्रयोग- गीता अपनी सहेली शीला के सामने अपने अंतर के पट खोल देती है।
48- अड़ियल टट्टू – हठी, जिद्दी
वाक्य प्रयोग- मैंने अपनी जिंदगी में बहुत जिद्दी देखे, लेकिन ऐसा अड़ियल टट्टू कभी नहीं देखा।
49- अक्ल की रोटी खाना – बुद्धिजीवी होना।
वाक्य प्रयोग- लेखक लोग अपनी अक्ल की रोटी खाते हैं।
50- मुंह अंधेरे – उजाला होने से पहले।
वाक्य प्रयोग- वह सुबह मुंह अंधेरे ही उठ जाता है।
51- अधर में लटकना – दुविधा में पड़े रह जाना।
वाक्य प्रयोग- अभी तो पूरा मामला ही अधर में लटका है।
52- अन्न न लगना – खा-पीकर भी सेहत न बनना।
वाक्य प्रयोग- डॉक्टर साहब, मैं पौष्टिक खाना खाता हूं। लेकिन फिर भी मुझे अन्न नहीं लगता।
53- अपनी खाल में मस्त रहना – अपनी दशा से संतुष्ट होना।
वाक्य प्रयोग- उसे किसी बात से कोई फर्क नहीं पड़ता। क्योंकि वह अपनी ही खाल में मस्त रहता है।
54- आपे में न रहना या आपा खो देना – होश में न रहना।
वाक्य प्रयोग- अनर्गल बक रहा है, लगता है वह अपने आपे में नहीं है।
55- अंग-अंग फड़कना – उत्साह और ऊर्जा से भरा हुआ।
वाक्य प्रयोग- वह तैराक बहुत ही स्वस्थ एवं चुस्त है। उसके अंग-अंग फड़क रहे हैं।
56- अक्ल चरने जाना – बुद्धि गायब हो जाना।
वाक्य प्रयोग- क्या तुम्हारी अक्ल चरने गयी है ? जो तुम इतनी बड़ी गलती कर बैठे।
57- अल्लाह मियां की गाय– बहुत सीधा-सादा होना।
वाक्य प्रयोग- व्यर्थ ही रामू से क्यों लड़ते हो ? वह तो अल्लाह मियां की गाय है।
58- अड्डा जमाना – स्थायी रूप से रहना।
वाक्य प्रयोग- साधुओं की एक जमात ने दारागंज मुहल्ले में अड्डा जमा लिया।
59- अरमान निकालना – इच्छाएं पूरी करना।
वाक्य प्रयोग- सभी बेरोजगार नौकरी पाने पर पहले अपने अरमान निकालने की सोचते हैं।
60- अपना किया पाना – कर्म का फल भोगना।
वाक्य प्रयोग- ऐसे लोगों को मुंह लगाओगे तो अपमान सहन करना ही पड़ेगा। आखिर अपना किया तो पाओगे ही।
61- आंख की किरकिरी होना – अच्छा न लगने वाला।
वाक्य प्रयोग- अंग्रेज अधिकारियों के लिये क्रांतिकारी आंख की किरकिरी थे।
62- आंख खुलना – सही ज्ञान होना।
वाक्य प्रयोग- इतनी बार असफल होने के बाद तो तुम्हारी आंख खुल जानी चाहिए।
63- आंख दिखाना – धमकाना।
वाक्य प्रयोग- छोटे बच्चे आंख दिखाने से बिगड़ जाते हैं।
64- आंखें पथरा जाना – थक जाना।
वाक्य प्रयोग- एकलौते पुत्र की राह देखते देखते उसकी आंखें पथरा गईं।
65- आंखें बिछाना – दिल से सम्मान या स्वागत करना।
वाक्य प्रयोग- वह मेरे स्वागत में अपनी आंखें बिछा देता है।
66- आंखों में खटकना – बुरा लगना।
वाक्य प्रयोग- अपने बुरे कर्मों की वजह से वह हमेशा मेरी आँखों में खटकता रहता है।
67- आंख में धूल झोंकना – धोखा देना।
वाक्य प्रयोग- मैं उस पर विश्वास करता रहा और वह मेरी आँखों में धूल झोंककर मेरा पैसा चुराता रहा।
68- आंखों में रात काटना– पूरी रात जागना।
वाक्य प्रयोग- पल्लवी की नाजुक हालत के कारण उसके परिवार को आंखों में रात काटनी पड़ी थी।
69- आंच आना – हानि पहुंचना।
वाक्य प्रयोग- रमेश बदमाशों से ऐसा निपटा की राजेश को जरा भी आंच नहीं आयी।
70- आसमान टूट पड़ना – बड़े संकट आना।
वाक्य प्रयोग- दुर्घटना में पति की मृत्यु के बाद शीला पर आसमान टूट पड़ा।
71- आकाश कुसुम होना – पहुंच से बाहर होना।
वाक्य प्रयोग- आम आदमी के विधायक का पद आकाशकुसुम है।
72- आटा दाल का भाव मालूम होना– सही स्थिति का पता चलना।
वाक्य प्रयोग- इस महंगाई में मकान बनाओगे तो आटा दाल का भाव मालूम हो जाएगा।
73- आंख का तारा होना – बहुत प्रिय होना।
वाक्य प्रयोग- हर बेटा अपने माँ बाप की आंखों का तारा होता है।
74- आवाज उठाना – विरोध प्रकट करना।
वाक्य प्रयोग- सरकार की गलत नीतियों के विरुद्ध अब आम आदमी भी आवाज उठाने लगे है।
75- आंख से गिरना – सम्मान खो देना।
वाक्य प्रयोग- जब से उसने यह कुकर्म किया है, मेरी आँख से गिर गया है।
76- आंसू पीकर रह जाना– चुपचाप सह लेना।
वाक्य प्रयोग- बाढ़ में उसका सब कुछ नष्ट हो गया। उस बेचारे को आंसू पीकर रह जाना पड़ा।
77- आंख में खून उतरना – बहुत क्रोध आना।
वाक्य प्रयोग- आतंकवादियों की हरकत देखकर कमांडर की आंखों में खून उतर आया।
78- आंख मिलाना– सामना करना।
वाक्य प्रयोग- अपनी गलती को जानकर वह किसी से आंख नहीं मिला सका।
79- आस्तीन का सांप होना – विश्वासघाती होना।
वाक्य प्रयोग- कल तक जिन्हें मैं अपना खास समझता रहा, वही आस्तीन के सांप निकले।
80- आसमान से बातें करना – बहुत ऊंचा या तेज।
वाक्य प्रयोग- दिल्ली की कुतुबमीनार आसमान से बातें करती है।
81- आसमान सिर पर उठाना – बहुत जिद करना, हंगामा करना।
वाक्य प्रयोग- वीडियोगेम न मिलने पर राजू ने आसमान सिर पर उठा लिया।
82- आकाश के तारे तोड़ना – असम्भव काम करना।
वाक्य प्रयोग- भगवान को चुनौती देकर तुम आकाश के तारे तोड़ना चाहते हो
83- जमीन आसमान का अंतर – बहुत अधिक अंतर होना।
वाक्य प्रयोग- रामलाल और श्यामलाल दोनों सगे भाई हैं। लेकिन दोनों के स्वभाव में जमीन आसमान का अंतर है।
84- आंधी के आम– सामयिक लाभ।
वाक्य प्रयोग- शेयर बाजार में अचानक उछाल आने से शेयर धारकों को आंधी के आम मिल गए।
85- आकाश पाताल एक करना/ जमीन आसमान एक करना – कठिन प्रयास करना।
वाक्य प्रयोग- चोर को पकड़ने के लिए पुलिस ने आकाश पाताल एक कर दिया।
86- आंखें फाड़कर देखना – घूर-घूर कर देखना।
वाक्य प्रयोग- कालेज में आई नई लड़की को कुछ लोग आंखें फाड़ फाड़ कर देख रहे थे।
87- आँचल पसारना – दया की भीख मांगना।
वाक्य प्रयोग- मां बोली, “मैं आँचल पसारकर भीख मांगती हूँ, मेरी बेटी को तलाक मत दो।”
88- आंख मारना – इशारा करना।
वाक्य प्रयोग- जैसे ही साथी ने आंख मेरी जेबकतरा भाग गया।
89- आगा पीछा न देखना – बिना विचार किये कार्य करना।
वाक्य प्रयोग- आगा पीछा न देखकर काम करने वाले बाद में पछताते हैं।
90- कंगाली में आटा गीला होना– संकट में और संकट आ जाना।
वाक्य प्रयोग- कंगाली में आटा गीला होना स्वाभाविक ही है।
91- आसमान में उड़ना – कल्पना में रहना।
वाक्य प्रयोग- तुम अपने किये कार्यों को नहीं देखते व्यर्थ में ही आसमान में उड़ते हो।
93- आधा तीतर- आधा बटेर– सुचारू रूप से नहीं।
वाक्य प्रयोग- हर काम को सही ढंग से करना चाहिए। आधा तीतर आधा बटेर की स्थिति ठीक नहीं होती।
94- आठ-आठ आंसू रोना– अत्यधिक रोना।
वाक्य प्रयोग- पिताजी की मृत्यु पर सुमन ने आठ आठ आंसू रोए।
95- आग में घी डालना– क्रोध भड़काना।
वाक्य प्रयोग- राम और श्याम पहले से एक दूसरे से नाराज थे। मोहन ने एक से दूसरे की बुराई करके आग में घी डालने का काम किया।
96- आँखें तरसना– देखने को बहुत इच्छुक होना।
वाक्य प्रयोग- उसके पौरुष को देखने के लिए मेरी आँखें तरस रही हैं।
97- आँख चुराना– छिप जाना।
वाक्य प्रयोग- जब से उमेश चोरी करते पकड़ा ज्ञ है। वह सबसे आँखें चुराता है।
98- आँखें फेर लेना– प्रतिकूल हो जाना।
वाक्य प्रयोग- मेरे दुर्दिन आने पर कई मित्रों ने आँखें फेर लीं।
99- आँखों का काँटा होना– बुरा लगना।
वाक्य प्रयोग- अच्छा काम करने वाले बुरे लोगों की आँख का काँटा होते हैं।
100- आग में कूदना– आपत्ति में पड़ना।
वाक्य प्रयोग- देश के सपूत देश की शान के लिए आग में कूदने को तैयार रहते हैं।
101- आसन डोलना– विचलित होना।
वाक्य प्रयोग- धन के आगे ईमान का भी आसन डोल जाता है।
102- आड़े हाथों लेना– बुरा-भला कहना।
वाक्य प्रयोग- रेल भाड़े और यात्री किराया वृद्धि को लेकर विपक्ष ने सरकार को आड़े हाथों लिया।
103- आँख बंद करके काम करना– लापरवाही से काम करना।
वाक्य प्रयोग- आँख बंद करके काम करने से अपना ही अहित होता है।
104- आग-फूस का बैर होना– जन्मजात शत्रु होना।
वाक्य प्रयोग- साँप और नेवले में आग-फूस का बैर होता है।
105- आग बबूला होना– अत्यंत क्रोधित होना।
वाक्य प्रयोग- छोटी-छोटी बातों पर आग बबूला होना अच्छी बात नहीं।
106- आवाज़ बुलंद करना– विरोध करना।
वाक्य प्रयोग- सांसद में विरोधी दलों के लोग अपनी आवाज़ खूब बुलंद करते हैं।
107- आँखें चार होना– एक दूसरे को देखना।
वाक्य प्रयोग- एक दिन अचानक स्टेशन पर अनामिका से आँखें चार हुईं और प्यार हो गया।
108- आंसू पोंछना– धैर्य प्रदान करना।
वाक्य प्रयोग- आपत्ति के समय मित्रगण ही आँसू पोछते हैं।
109- आपे से बाहर होना– अत्यंत क्रोधित होना।
वाक्य प्रयोग- उसके अपशब्द कहते ही रमेश आपे से बाहर हो गया।
110- आँख रखना– निगरानी रखना।
वाक्य प्रयोग- विदेश आए लोगों पर प्रशासन आँख रखता है।
111-आँख लगना– झपकी आना।
वाक्य प्रयोग- सफ़र में जैसे ही मेरी आँख लगी, चोरों ने मेरा बैग पार कर दिया।
112- आँखें तरेरना– क्रोध करना।
वाक्य प्रयोग- हेडमास्टर के आँख तरेरते ही सभी बच्चे शांत हो गये।
113- आँखें नीची होना– लज्जित होना।
वाक्य प्रयोग- पुत्र की करतूतों से रामप्रसादजी की आँखें नीची हो गयीं।
114- आँख मूँदना– मर जाना।
वाक्य प्रयोग- पिता के आँख मूँदते ही दोनों बेटों ने जायदाद बाँट ली।
115- आँखों का काजल चुराना– बहुत सफ़ाई से चोरी करना।
वाक्य प्रयोग- इतनी भीड़ में से हार ग़ायब कर देना आँखों से काजल चुरा लेने के समान है।
116- आँखों में खून उतरना– ग़ुस्से से आँख लाल हो जाना।
वाक्य प्रयोग- उस लड़के की ज़्यादती देखकर मेरी आँखों में खून उतर आया।
117- आँख गड़ाना– बुरी अथवा लालच भरी दृष्टि से देखना।
वाक्य प्रयोग- पाकिस्तान अब भी कश्मीर पर आँख गड़ाए हुए है।
118- आँखें चमकना– प्रसन्न होना।
वाक्य प्रयोग- कारगिल विजय का समाचार सुनकर प्रधानमंत्री जी की आँखें चमक उठीं।
119- आँखों में पानी भर आना– भावुक होना।
वाक्य प्रयोग- गुजरात के भूकम्प में लोगों की दुर्दशा देखकर मेरी आँखों में पानी भर आया।
120- आँखें लाल-पीली करना– क्रोध करना।
वाक्य प्रयोग- बच्चों की छोटी ग़लतियों पर माता-पिता का आँखें लाल-पीली करना अच्छी बात नहीं है।
121- आँखों पर पर्दा पड़ना– जानकारी न होना।
वाक्य प्रयोग- अभिमान के कारण उसकी आँखों पर पर्दा पड़ा हुआ है। इसलिए उसे सही स्थिति का ज्ञान नहिं है।
121- आँख बचाना– कतराना।
वाक्य प्रयोग- चोर पुलिस से कब तक आँखें बचा सकता है।
122- आँखें सेंकना– देखकर मजा लेना।
वाक्य प्रयोग- मेले में लड़के केवल आँखें सेंकने आते हैं।
123- आग लगने पर कुआँ खोदना– पहले से उपाय न करना।
वाक्य प्रयोग- कुछ छात्र परीक्षा सिर पर आ जाने पर पढ़ाई शुरू करके आग लगने पर कुआँ खोदने वाली कहावत चरितार्थ करते हैं।
124- आगा-पीछा करना– हिचकिचाना।
वाक्य प्रयोग- असहाय की सहायता करने में आगा-पीछा नहीं करना चाहिए।
125- आड़े आना– सामने आना, दखल देना।
वाक्य प्रयोग- मजबूरी आड़े आ गयीं वरना मैं भी आज कुछ और होता।
126- आव देखा न ताव– पति पत्नी में झगड़ा हुआ और पत्नी ने आव देखा न ताव और बच्चों को पीटना शुरू कर दिया।
127- आसमान पर चढ़ा देना– बहुत प्रशंसा करना।
वाक्य प्रयोग- एक फ़िल्म के हिट होते ही मीडिया ने सनी लियोनी को आसमान पर चढ़ा दिया।
128- दिमाग़ आसमान पर होना- बहुत घमंडी होना।
वाक्य प्रयोग- पत्रकारिता में थोड़ी सफलता पाकर ही उसका दिमाग़ आसमान पर हो गया।
129- आँखों के आगे अंधेरा छा जाना– बदहवास हो जाना।
वाक्य प्रयोग- पुत्र के एक्सीडेंट की ख़बर सुनकर पिता की आँखों ke आगे अंधेरा छा गया।
130- पलकों पर बिठाना– बहुत ज़्यादा प्यार सम्मान देना।
वाक्य प्रयोग- अगर आप मेरे घर आएँगे तो मैं आपको अपनी पलकों पर बिठाऊँगा।
131- आसमान टूटना – अचानक आफ़त आ जाना।
वाक्य प्रयोग- भूकम्प में पति की मृत्यु से शीला के ऊपर आसमान ही टूट पड़ा।
132- आनन फानन में – अति शीघ्र।
राजीव गांधी की मृत्यु का समाचार आनन-फानन में पूरे देश में फैल गया।
133- इशारे पर नाचना – ग़ुलाम होना।
वाक्य प्रयोग- वह अपनी पत्नी के इशारे पर नाचता है।
134- इधर की उधर लगाना – चुग़ली करना।
वाक्य प्रयोग- विजय हमेशा इधर की उधर लगाता रहता है।
135- इस हाथ ले, उस हाथ दे – खरा लेन देन रखना।
वाक्य प्रयोग- मुकेश का काम इस हाथ दे, उस हाथ ले वाला है।
136- इज्जत में बट्टा लगाना– इज्जत खराब करना।
वाक्य प्रयोग- मुकेश ने अपने ग़लत कामों से पूरे परिवार की इज्जत में बट्टा लगा दिया।
137- अपनी इज्जत अपने हाथ होना– मर्यादित व्यवहार करना।
वाक्य प्रयोग- आज के समय में अपनी इज्जत अपने हाथ में होती है।
138- ईंट का जवाब पत्थर से देना– कड़ी प्रतिक्रिया देना।
वाक्य प्रयोग- भारत को चाहिए कि अब धैर्य छोड़कर पाकिस्तान को ईंट का जवाब पत्थर से दे।
139- ईंट से ईंट बजाना– नष्ट कर देना।
वाक्य प्रयोग- बड़े बड़े मफ़ियाओं की प्रशासन ने ईंट से ईंट बजा दी है।
140- ईद का चाँद होना– बहुत समय बाद दिखाई देना।
वाक्य प्रयोग- शालू रीवां क्या रहने लगी, सचमुच ईद का चाँद हो गयीं।
141- उल्टी माला फेरना– अनिष्ट की कामना करना।
वाक्य प्रयोग- लोग पड़ोसी की प्रगति देखकर उल्टी माला फेरने लगते हैं।
142- उल्टे उस्तरे से मूँड़ना– मूर्ख बनाकर स्वार्थ सिद्ध करना।
वाक्य प्रयोग- प्रयाग में संगम तट पर पंडों ने श्रद्धालुओं को उल्टे उस्तरे से मूँड़ लिया।
143- उतार चढ़ाव देखना– अनुभव प्राप्त करना
वाक्य प्रयोग- तुम्हें शायद नहिं मालूम इन सफ़ेद बालों ने कितने उतार चढ़ाव देखे हैं।
144- उधेड़बुन में पड़ना– सोच विचार में पड़ना।
वाक्य प्रयोग- व्यर्थ की उधेड़बुन में न पड़कर परीक्षा की तैयारी करो।
145- उल्लू बोलना– उजाड़ हो जाना।
वाक्य प्रयोग- भानगढ के क़िले में अब उल्लू बोलते हैं।
146- उल्लू सीधा करना– काम निकालना।
वाक्य प्रयोग- कार्यालय में शिवराम बहुत चालाक है। वह सभी अधिकारियों से अपना उल्लू सीधा कर ही लेता है।
147- उल्टी गंगा बहाना– उल्टा काम करना।
वाक्य प्रयोग- जयराम जैसे झगड़ालू व्यक्ति को समझौते के लिए राज़ी करना उल्टी गंगा बहाने के समान है।
148- उड़ती चिड़िया के पंख गिनना– किसी बात या परिस्थिति को पहले ही भाँप लेना।
वाक्य प्रयोग- राम अब इतना अनुभवी हो गया है कि उड़ती चिड़िया के पंख गिन लेता है।
149- उँगली उठाना– आलोचना करना।
वाक्य प्रयोग- कभी ऐसा काम मत करो कि किसी को उँगली उठाने का मौका मिले।
150- दुनिया से उठ जाना– मर जाना।
वाक्य प्रयोग- शर्माजी इतनी कम उम्र में ही दुनिया से उठ गए।
151- उन्नीस होना– थोड़ा कम होना।
वाक्य प्रयोग- उमेश बुद्धि के मामले में पारुल से उन्नीस है।
152- उँगलियों पर नाचना– वश में होना।
वाक्य प्रयोग- मुकेश अपनी पत्नी की हर बात मानता है। लोग सच कहते हैं कि वह पत्नी की उँगलियों पर नाचता है।
153- उड़ता तीर लेना– अकारण मुसीबत मोल लेना।
वाक्य प्रयोग- चुपचाप जाते सांड को छेड़कर मोहन ने उड़ता तीर ले लिया।
154- उड़न छू होना– ग़ायब हो जाना।
वाक्य प्रयोग- पुलिस को देखते ही चोर उड़न छू हो गया।
155- पासा उल्टा पड़ना– योजना के विपरीत काम होना।
वाक्य प्रयोग- रामलाल ने बहुत कोशिश की की मनोहर चुनाव न जीते लेकिन उनका पासा उल्टा पड़गया और मनोहर चुनाव जीत गया।
156- उन्नीस बीस होना– मामूली अंतर होना।
वाक्य प्रयोग- दोनों कपड़ों की गुणवत्ता में उन्नीस बीस का फ़र्क़ है।
157- ऊँट के मुँह में जीरा– अपर्याप्त वस्तु।
वाक्य प्रयोग- उसकी कद काठी को देखकर लगता है कि यह खाना तो उसके लिए ऊँट के मुँह में जीरा ही है।
158- ऊँट किस करवट बैठता है– परिणाम संदिग्ध होना।
वाक्य प्रयोग- चुनाव पूर्व दोनों पार्टियों की स्थिति अच्छी थी। देखते है कि ऊँट किस करवट बैठता है।
159- ऊँच- नीच– अच्छा बुरा।
वाक्य प्रयोग- मोहन अब इस उम्र में है कि अपनी ऊँच नीच खुद समझ सकता है।
160- एक ही थैली के चट्टे बट्टे होना– एक समान होना।
वाक्य प्रयोग- तुम्हें अपनी सफ़ाई देने की ज़रूरत नहीं। मुझे पता है की तुम सब एक ही थैली के चट्टे बट्टे हो।
161- एक अनार सौ बीमार– आपूर्ति से अधिक माँग होना।
वाक्य प्रयोग- क्षेत्र में अधिक इमारतों के निर्माण के कारण राजगीरों की स्थिति एक अनार सौ बीमार वाली हो गयी है।
162- एक आँख से देखना– समान भाव से देखना।
वाक्य प्रयोग- इस संस्थान के निदेशक सभी छात्रों को एक आँख से देखते हैं।
163- एक तीर से दो शिकार करना– एक कार्य से दो उद्देश्यों की पूर्ति करना।
वाक्य प्रयोग- हिन्दी साहित्य से परास्नातक करने के साथ ही सिविल सेवा की तैयारी हो तो एक tter से दो शिकार हो जाएँगे।
164- एक पंथ दो काज– एक कार्य के साथ दूसरा भी पूरा करना।
वाक्य प्रयोग- मनीष प्रयाग में विवाह समारोह में शामिल हुआ साथ ही संगम स्नान भी कर लिया। इसे कहते हैं एक पंथ दो काज।
165- एड़ी चोटी का ज़ोर लगाना– कठिन प्रयत्न करना।
वाक्य प्रयोग- पुलिस ने एड़ी चोटी का ज़ोर लगाकर चोरों को पकड़ लिया।
166- एड़ियाँ रगड़ना या घिसना– बहुत चक्कर लगाना या प्रयास करना।
वाक्य प्रयोग- परीक्षा में उत्तीर्ण होने लिए उसने बहुत एड़ियाँ रगड़ीं।
167- एक और एक ग्यारह होना– संगठन में शक्ति होना।
वाक्य प्रयोग- उस मोटे शैतान के खिलाफ राम और मोहन मिलकर एक और एक ग्यारह हो गए।
168- एक टांग पर खड़ा होना- सदा तैयार रहना।
वाक्य प्रयोग- वह तो बहुत परोपकारी है। सबकी मदद के लिए 11एक टांग पर खड़ा रहता है।
169- एक न चलना– बस न चलना।
वाक्य प्रयोग- आप हमसे कुछ मत कहिए, हमारी तो एक भी नहीं चलती।
170- ऐरा-ग़ैर नत्थू-खैरा– फालतू आदमी।
आज ऐसा समय आ गया है कि हर ऐरा ग़ैर नत्थू खैरा भी अधिकारियों पर रौब झाड़ता है।
171- ओखली में सिर देना– जानबूझकर संकट मोल लेना।
वाक्य प्रयोग- पाकिस्तान ने भारत में आतंकवाद को बढ़ावा देकर अपना सिर ओखली में डाल दिया है।
172- सिर मुँड़ाते ही ओले पड़ना– कुसमय पर विपत्ति आना।
वाक्य प्रयोग- फसल बोते ही तेज बारिश हो गयी। किसानों के सिर मुँड़ाते ही ओले पड़ गए।
173- कलेजे पर साँप लोटना– घोर ईर्ष्या होना।
वाक्य प्रयोग- भारत की सद्भावना और शांति को देखकर पाकिस्तान में साँप लोट जाता है।
174- सिर पर कफन बांधना– हर संकट के लिए तैयार रहना।
वाक्य प्रयोग- भारतीय सेना के जवान हर समय अपने सिर पर कफन बांधे रहते हैं।
175- कलम तोड़ना– बहुत अच्छा लिखना।
वाक्य प्रयोग- मुंशी प्रेमचंद ने गोदान लिखने में कलम तोड़ दी।
176- कलेजा ठंडा होना– संतोष होना।
वाक्य प्रयोग- पुरानी खानदानी दुश्मनी का बदला लेने के लिए जवाहर यादव का कलेजा ठंडा हो गया।
177- कलेजा थामना – कठिनाई से धैर्य धारण करना।
वाक्य प्रयोग- बेटे की मृत्यु हो जाने पर तारा कलेजा थाम कर रह गई।
178- कान खड़े होना– सावधान होना।
वाक्य प्रयोग-रात को तनिक भी आवाज सुनकर मेरे कान खड़े हो जाते हैं।
179- कान पर जूं न रेंगना– बिलकुल ध्यान न देना।
वाक्य प्रयोग- मैंने बहुत समझाया कि सुधर जाओ, लेकिन उसके कान पर जूं न रेंगी।
180- काम तमाम करना– मार डालना।
वाक्य प्रयोग- कसाई ने एक ही वार से बकरे का काम तमाम कर दिया।
181- किताबी कीड़ा होना– अधिक पढ़ने वाला।
वाक्य प्रयोग- वह कमरे से बाहर नहीं निकलता, किताबी कीड़ा जो ठहरा।
182- कुत्ते की मौत मरना– बुरी हालत में मरना।
वाक्य प्रयोग- पुलिस एनकाउंटर में हत्यारा कुत्ते की मौत मारा गया।
183- कोल्हू का बैल होना– दिन रात परिश्रम करना।
वाक्य प्रयोग- इन दिनों दो वक्त की रोटी के लिए सोहन को कोल्हू का बैल बनना पड़ रहा है।
184- कागजी घोड़े दौड़ाना– केवल लिखा पढ़ी करना, वास्तव में कुछ न करना।
वाक्य प्रयोग- अपनी ज़मीन वापस पाना चाहते हो। तो खुद जाकर पैरवी करो केवल कागजी घोड़े दौड़ाने से कुछ नहिं होने वाला।
185- काँटा बोना– हानि पहुँचाना।
वाक्य प्रयोग- कुछ लोगों का स्वभाव ही दूसरों के लिए काँटा बोने वाला होता है।
186- काट खाने को दौड़ना– चिड़चिड़ाकर बोलना।
वाक्य प्रयोग- वह हर बात पर काट खाने को दौड़ता है।
187- कान कतरना– अधिक होशियार हो जाना।
वाक्य प्रयोग- राहुल अब इतना बढ़िया काम करता है की अपने उस्ताद के भी कान कतरने लगा है।
188- कान काटना– बढ़कर होना।
वाक्य प्रयोग- विनोद अपने वाकचातुर्य से अनेक लोगों के कान काट चुका है।
189- कानी कौड़ी पास न होना– एक भी पैसा न होना।
वाक्य प्रयोग- वह व्यापार के लिए सोच भी नहिं सकता क्योंकि उसके पास कानी कौड़ी भी नहीं है।
190- कुएँ में भंग पड़ना– सबकी बुद्धि भ्रष्ट होना।
वाक्य प्रयोग- लगता है कि कुएँ में ही भंग पड़ी है, तभी किसी को घटना की सूचना थाने में देने का खयाल नहीं आया।
191- कान में तेल डालकर बैठना– चुप्पी साध कर बैठना।
वाक्य प्रयोग- बेटी सयानी हो चुकी है, उसके विवाह का सोचो। कब तक कान में तेल डालकर बैठे रहोगे ?
192- काटो तो खून नहीं– अत्यधिक भयभीत होना, विस्मित हो जाना, संज्ञा शून्य हो जाना।
वाक्य प्रयोग- छोटे बच्चे के मुँह से ऐसी बात सुनकर मेरी काटो तो खून नहीं वाली स्थिति हो गयी।
१93- कलेजा खाना– अत्यधिक तंग करना।
वाक्य प्रयोग- अपनी फरमाइशों को लेकर वह हमेशा पिता जी का कलेजा खाता रहता है।
194- कसौटी पर कसना– अच्छी तरह जाँच करना।
वाक्य प्रयोग- इतनी जल्दी विचलित मत होवो, अभी तो तुम्हें कसौटी पर कसा जा रहा है।
195- कान खाना– परेशान करना।
वाक्य प्रयोग- स्कूल में छोटे बच्चे हमेशा शिक्षक के कान खाते रहते हैं।
196- काया-पलट हो जाना– एकदम बदल जाना।
वाक्य प्रयोग- गाँव छोड़कर शहर आने के बाद उसकी तो काया ही पलट गयी।
197- कान का कच्चा होना– हर एक की बात मान लेना।
वाक्य प्रयोग- तुम्हारी बातों से ऐसा लगता है कि तुम कान के कच्चे हो।
198- काँटा निकल जाना– रुकावट हट जाना।
वाक्य प्रयोग- उसकी बातों से आज हमारे दिल का काँटा निकल गया।
१99- किए कराए पर पानी फेरना– बिगाड़ देना।
वाक्य प्रयोग- तुमने एक गलती से मेरे सारे किए कराए पर पानी फेर दिया।
200- कलेजे पर पत्थर रखना– कठिनाई से धैर्य धारण करना।
वाक्य प्रयोग- कलेजे पर पत्थर रखकर राम ने अपने इकलौते बेटे को मुखाग्नि दी।
हिन्दी मुहावरे
201- कच्चा चबा जाना– पूरी तरह नष्ट करने की धमकी।
वाक्य प्रयोग- यदि तुमने ये हरकत दोबारा की तो मैं तुम्हें कच्चा चबा जाऊँगा।
202- कंगाली में आटा गीला– अभाव में और हालत ख़राब करने वाला काम।
वाक्य प्रयोग- बेरोज़गारी की हालत में पैसे चोरी हो जाना कंगाली में आटा गीला होने वाला काम है।
203- कहा-सुनी होना– झगड़ा होना।
वाक्य प्रयोग- पति-पत्नी में अक्सर कहा-सुनी होती रंगती है।
204- काठ मार जाना– हत्प्रभ होना।
वाक्य प्रयोग- भूकम्प में हुए नुक़सान का लेखा जोखा सुनकर हमें तो काठ मार गया।
205- कान पकड़ना– गलती मानना।
वाक्य प्रयोग- मैं कान पकड़ता हूँ, ऐसी गलती दोबारा नहिं करूँगा।
206- कान फूंकना– चुपके से कुछ कहना।
वाक्य प्रयोग- न जाने उसने शीला के कान में क्या फूंक दिया, तब से गुमसम बैठी है।
207- काफ़ूर हो जाना– गायब हो जाना।
वाक्य प्रयोग- पुलिस को देखते ही चोर का सारा आत्मविश्वास काफूर हो गया।
208- काला नाग– घातक व्यक्ति।
वाक्य प्रयोग- उसका विश्वास बिलकुल मत करना, वह एकदम काला नाग है।
209- कुत्ते की दुम– न सुधरने वाला।
वाक्य प्रयोग- राजेंद्र का रूखा व्यवहार तो कुत्ते की दुम की तरह है। चाहे जितना प्रयास करो सही नहीं होगा।
210- काठ की हांडी– नाजुक या कमजोर वस्तु, धोके की टट्टी।
वाक्य प्रयोग- स्वार्थी लोगों की मित्रता तो काठ की हांडी की तरह है।
211- कल पड़ना– आराम मिलना।
वाक्य प्रयोग- चोरों के पकड़ जाने की खबर सुनकर मुझे कल पड़ा।
212- करवटें बदलना– बेचैन होना।
वाक्य प्रयोग- परीक्षा के पहले की रात मैं करवटें ही बदलता रहा।
213- काजल की कोठरी– कलंकित स्थान।
वाक्य प्रयोग- वेश्यालय की गली तो काली कोठरी के समान है। इसके पास से भी निकल जाओगे तो बदनाम हो जाओगे।
214- किस खेत की मूली– नगण्य होना।
वाक्य प्रयोग- मैंने बड़े बड़े अपराधियों को जेल भेज दिया है। तुम किस खेत की मूली हो ?
215- किस्मत आजमाना– भाग्य के bharose काम करना।
वाक्य प्रयोग- अगर सिविल सर्विस की तैयारी नहिं की है तो बेकार में किस्मत आज़माने से कोई लाभ नहीं है।
216- काठ का उल्लू होना– बड़ा मूर्ख।
वाक्य प्रयोग- रमेश तो कुछ नहीं कर सकता। वह तो बस काठ का उल्लू है।
217- कूप मंडूक होना– सीमित ज्ञान होना।
वाक्य प्रयोग- सामाजिक कार्य के क्षेत्र में तो वह कूप मंडूक ही है।
218- कुर्सी तोड़ना– काम न करना।
वाक्य प्रयोग- सरकारी दफ़्तर तो में लोग बस कुर्सी तोड़ते हैं।
219- किराए का टट्टू– पैसा देने वाले का साथ देना।
वाक्य प्रयोग- उसकी बात बेकार करते हो। वह तो किराए का टट्टू है।
220- कोदो देकर पढ़ना– ध्यान न देकर पढ़ना, बुद्धू होना।
वाक्य प्रयोग- तुम्हीं तो होशियार हो, मैंने तो कोदो देकर पढ़ाई की है।
221- कौड़ी के भाव बिकना– बेकार।
वाक्य प्रयोग- अभी भी समय है, चेत जाओ। वरना कौड़ी के भाव बिकोगे।
222- कीचड़ उछालना– बदनाम करना।
वाक्य प्रयोग- तुम्हें शायद मालूम नहीं कि तुम अपने खानदान पर कितना कीचड़ उछाल रहे हो।
223- कंधे से कंधा मिलाना- पूरा सहयोग देना।
वाक्य प्रयोग- मित्रों को चाहिए कि एक दोसरे का कंधे से कंधा मिलाकर साथ दें।
224- कच्चा चिट्ठा खोलना– सारे भेद कह देना।
वाक्य प्रयोग- घोटाले में हिस्सा न पाने पर क्लर्क ने पूरा कच्चा चिट्ठा खोल दिया।
225- कलेजा मुंह को आना– दुःख होना।
वाक्य प्रयोग- मरीज की चीत्कार का ध्यान आते ही कलेजा मुंह को आ जाता है।
226- कलेजे का टुकड़ा– बहुत प्यारा होना।
वाक्य प्रयोग- मेरा यह इकलौता बेटा मेरे कलेजे का टुकड़ा है।
227- खेत रहना– शहीद होना।
वाक्य प्रयोग- इस युद्ध में बहुत सारे सैनिक खेत रहे।
228- खरी खोटी सुनाना– भला बुरा कहना।
वाक्य प्रयोग- पुस्तक खो जाने के बाद उसने मुझे खूब खरी खोटी सुनाई।
229- खाक छानना– भटकते फिरना।
वाक्य प्रयोग- बेटी की तलाश में वह तीन दिनों से शहर की खाक छान रहा है।
230- खाक में मिलाना– नष्ट कर देना।
वाक्य प्रयोग- इस नालायक लड़के ने मेरी इज्जत खाक में मिला दी।
231- खटाई में पड़ना– कुछ निर्णय न हो पाना।
वाक्य प्रयोग- पैसे की कमी के कारण ग्राम सुधार की योजना खटाई में पड़ गयी।
232- खार खाना– चिढ़ जाना।
वाक्य प्रयोग- मेरा और उसका काम अलग अलग है फिर भी वह मुझसे खार खाता है।
233- खिल्ली उड़ाना– हंसी उड़ाना।
वाक्य प्रयोग- परीक्षा में असफल होने पर मित्रों ने उसकी खूब खिल्ली उड़ाई।
234- खून सवार होना– मारने मारने को तैयार होना।
वाक्य प्रयोग- परिवार की इज्जत बचाने को वह मरने मारने पर उतारू हो गया।
235- खून के घूँट पीना– अपमान सहना।
वाक्य प्रयोग- ससुराल में अपने माता पिता की बुराई सुनकर सोनिया खून के घूँट पीकर रह गयी।
236- खून खौलना– उतेजित होना।
वाक्य प्रयोग- उसकी बदतमीजी देखकर मेरा खून खौल उठा।
237- खयाली पुलाव पकाना– मनमानी कल्पना करना।
वाक्य प्रयोग- साधन हैं नहीं, केवल योजनाएँ बनाते रहते हो। ऐसे खयाली पुलाव pakane से क्या लाभ ?
238- खाल खींचना– बहुत पीटना।
वाक्य प्रयोग- गुंडों की पुलिस वालों ने खाल खींच ली।
239- खिचड़ी पकाना– षड्यंत्र करना।
वाक्य प्रयोग- पता लगाओ मेरे खिलाफ़ क्या खिचड़ी पक रही है।
240- खून पसीना एक करना– कड़ी मेहनत करना।
वाक्य प्रयोग- प्रायः यह देखा जाता है कि लोग खून पसीना एक करके धन कमाते हैं और उनके बेटे उसे नष्ट कर देते हैं।
241- खून सफ़ेद हो जाना– दया न रह जाना।
वाक्य प्रयोग- आजकल की घटनाओं को देखकर लगता है कि पुलिस वालों का खून सफ़ेद हो गया है।
242- खींसे निपोरना– निर्लज्जता दिखाना।
वाक्य प्रयोग- डाँट खाने के बावजूद वह खींसे निपोरने लगा।
243- खाला जी का घर– जहां अपनी मनमानी चले।
वाक्य प्रयोग- यह सरकारी कार्यालय है, खालाजी का घर नहीं। जहां तुम्हारी मर्ज़ी चलेगी।
244- गूलर का पेट फूलना– औक़ात से ज़्यादा बात करना।
वाक्य प्रयोग- आजकल हर जगह गूलर का पेट फूलने लगा है। हर आदमी औक़ात भूलकर बात करता है।
245- गले का हार होना– अत्यंत प्रिय होना।
वाक्य प्रयोग- मुकेश मोहन के गले का हार है।
246- गूँगे का गुड़– अकथनीय आनंद।
वाक्य प्रयोग- शृंगार रस का साहित्य गूँगे का गुड़ है। जिसे केवल खाने वाला ही जानता है।
247- गड़े मुर्दे उखाड़ना– पुरानी बातों पर प्रकाश डालना।
वाक्य प्रयोग- देखो भई, जो हो गया, सो हो गया। अब गड़े मुर्दे उखाड़ने से क्या लाभ ?
248- गुल खिलाना– कुछ अप्रत्याशित करना।
वाक्य प्रयोग- रमेश का लड़का कोई न कोई नया गुल खिलाता रहता है।
249- गर्दन पर छुरी फेरना– हानि पहुँचाना।
वाक्य प्रयोग- अपने कार्यालय के साथी को निलम्बित कराके तंबे उसकी गर्दन पर छुरी फेर दी।
250- गागर में सागर भरना– थोड़े में बहुत कहना।
वाक्य प्रयोग- बिहारी के दोहे गागर में सागर के समान हैं।
muhavare in hindi for class 10
251- गिरगिट की तरह रंग बदलना – एक बात पर स्थिर न रहना।
वाक्य प्रयोग- तुम्हारी बात का कोई भरोसा नहीं है। तुम गिरगिट की तरह रंग बदलते हो।
252- गुड़ गोबर होना – काम बिगड़ जाना।
वाक्य प्रयोग- तुम्हारी बेवकूफी से सारा काम गुड़ गोबर हो गया।
253- गोबर गणेश – मूर्ख।
वाक्य प्रयोग- महेश कुछ भी कहना बेकार है। वह पूरा गोबर गणेश है।
254- गीदड़ भभकी – झूठ मूठ डराना।
वाक्य प्रयोग- हम सब तुम्हारी असलियत जानते हैं। यहां तुम्हारी गीदड़ भभकी नहीं चलने वाली।
255- गाल बजाना– बकवास करना, आडम्बर करना।
वाक्य प्रयोग-उसके गाल बजाने से सब परेशान हैं।
256- गुदड़ी के लाल– साधारण स्थिति में असाधारण प्रतिभा।
वाक्य प्रयोग- साधारण परिवार में जन्म लेकर प्रधानमंत्री बनने वाले लाल बहादूर शास्त्री गुदड़ी के लाल थे।
257- गज भर की छाती होना– अत्यधिक गर्व का अनुभव करना।
वाक्य प्रयोग- अपने भाई को जिलाधीश की कुर्सी पर बैठा देखकर उसकी छाती गज भर की हो गयी।
258- गूलर का फूल होना– न दिखाई पड़ना।
वाक्य प्रयोग- जबसे नौलरी मिली है, मुकेश तो गूलर का फूल हो गया है।
259- गंगा नहाना– कार्य पूर्ण करके छुट्टी पाना।
वाक्य प्रयोग- बेटी की शादी हो जाये, समझो हमने गंगा नहा ली।
260- गांठ का पूरा– धनी।
वाक्य प्रयोग- धर्मेंद्र का साला है तो गांठ का पूरा, लेकिन बहुत कंजूस है।
262- गांठ बांधना– अच्छी तरह याद रखना।
वाक्य प्रयोग- मेरी बात गांठ बांध लो, चापलूसों की बात का कभी भरोसा मत करना।
263- गाल फुलाना– रूठना।
वाक्य प्रयोग- रमेश जी बच्चों की तरह बात बात में गाल फूल लेते हैं।
264- गेंहू के साथ घुन पिसना– दोषी के साथ निर्दोष का भी अहित होना।
वाक्य प्रयोग- उस चोर का साथ छोड़ दो। वरना किसी दिन गेहूं के साथ घुन की तरह तुम भी पिस जाओगे।
265- घड़ों पानी पड़ना– अत्यंत लज्जित होना।
वाक्य प्रयोग- चोरी करते पकड़े जाने पर उस पर घड़ों पानी पड़ गया।
266- घाट-घाट का पानी पीना– सब तरह का अनुभव होना।
वाक्य प्रयोग- उसे कम मत समझो, उसने घाट-घाट का पानी पिया है।
267- घास काटना– सही से काम न करना।
वाक्य प्रयोग- दरवाजों पर पेंटिंग ठीक से करो। यह नहीं कि घास काटकर चलते बनो।
268- घुटने टेक देना– हार मान लेना।
वाक्य प्रयोग- हमारे जवानों की वीरता के आगे शत्रु की सेना ने घुटने टेक दिए।
269- घात लगाना– अवसर ताकना, जाल बिछाना।
वाक्य प्रयोग- मोहन के लिए उसके दुश्मन घात लगाए बैठे हैं।
270- घोड़े बेंचकर सोना– निश्चिंत होना।
वाक्य प्रयोग- उसकी परीक्षाएँ समाप्त हो गयी हैं। इसलिए वह घोड़े बेचकर सो रहा है।
271- घर करना– पूरी तरह बस जाना।
वाक्य प्रयोग- तुम्हारी यह बात मेरे मन में घर कर गयी है।
272- घुन लगना– बेकार हो जाना।
वाक्य प्रयोग- निरंतर अभ्यास के बिना किसी भी कौशल को घुन लग जाता है।
273- घर की खेती– अपनी चीज।
वाक्य प्रयोग- दाढ़ी मूछों को देखकर नाराज मत होना, यह तो घर की खेती है।
274- घी के दिये जलाना– अत्यंत प्रसन्न होना।
वाक्य प्रयोग- पुत्र को नौकरी मिलने के बाद उसने घी के दिये जलाए।
275- घाव हरा होना– दुख की बात याद आ जाना।
वाक्य प्रयोग- उन पुरानी कड़वी बातों की चर्चा करके तुमने मेरे घाव हरे कर दिए।
276- घुटा हुआ– बहुत चालाक या अनुभवी।
वाक्य प्रयोग- उसे धोखा देना आसान नहीं है। क्योंकि वह बहुत घुटा हुआ है।
277- घिघ्घी बंधना– डर के मारे बोल न पाना।
वाक्य प्रयोग- पुलिस के सामने अच्छे अच्छों की घिघ्घी बंध जाती है।
278- घोघा बसंत– मूर्ख।
वाक्य प्रयोग- मूलचंद का छोटा लड़का बिल्कुल घोघा बसंत है।
279- घर का न घाट का– कहीं का नहीं।
वाक्य प्रयोग- उसके कहने में मैंने नौकरी छोड़ दी। उसने भी काम नहीं दिया, अब तो मैं घर का रहा न घाट का।
280- घर फूंक तमाशा देखना– अपना नुकसान करके मौज उड़ाना।
वाक्य प्रयोग- वह इतना मूर्ख नहीं है कि घर फूंक तमाशा देखे।
281- चंपत होना– भाग जाना।
वाक्य प्रयोग- चोर मोटरसाइकिल लेकर चंपत हो गया।
282- चक्की में पिसना– बहुत कष्ट सहना।
वाक्य प्रयोग- आजकल जनता नेताओं और अफसरों के बीच चक्की में पिस रही है।
283- चौकड़ी भूलना– अक्ल काम न करना।
वाक्य प्रयोग- धन संपत्ति नष्ट हो जाने पर बड़े बड़े चौकड़ी भूल जाते हैं।
284- चींटी के पर निकलना– हैसियत से बढ़कर काम करना, नष्ट होने के करीब होना।
वाक्य प्रयोग- चुनाव में विरोधियों को देखकर नेताजी बोले कि अब तो चींटियों को भी पर निकल आये हैं।
285- चांदी का जूता मारना– घूस देना।
वाक्य प्रयोग- इस अधिकारी को चांदी का जूता मारकर काम लिया जा सकता है।
286- चिकना घड़ा– किसी बात का असर न होना।
वाक्य प्रयोग- इसको कई बार तेज गाड़ी चलाने से मना किया। लेकिन इसपर कोई असर नहीं होता , क्योंकि यह चिकना घड़ा है।
287- चारों खाने चित करना– बुरी तरह हराना।
वाक्य प्रयोग- भारतीय पहलवान ने ईरानी पहलवान को चारों खाने चित कर दिया।
288- चिराग गुल होना– वंश नष्ट हो जाना।
वाक्य प्रयोग- एक्सीडेंट में बेटे की मौत के बाद इसका तो चिराग ही गुल हो गया।
289- चेहरे पर हवाईयां उड़ना– घबरा जाना।
वाक्य प्रयोग- मार्ग दुर्घटना को देखकर उसके चेहरे पर हवाईयां उड़ने लगीं।
290- चल बसना– मर जाना।
वाक्य प्रयोग- कल रमेश के दादाजी चल बसे।
291- चंगुल में फंसाना– वश में करना।
वाक्य प्रयोग- उसके जैसे व्यक्ति को चंगुल में फसाना आसान नहीं है।
292- चैन की बंशी बजाना– मौज करना।
वाक्य प्रयोग- सारी जिम्मेदारियों से फुरसत पाकर अब वह चैन की बंशी बजा रहा है।
293- चोली दामन का साथ– बहुत घनिष्ठ।
294- चांदी काटना– यूरिया के दाम बढ़ने से व्यापारी खूब चांदी काट रहे हैं।
295- चार चांद लगना– शोभा बढ़ जाना।
वाक्य प्रयोग- उसकी उपस्थिति ने पार्टी में चार चांद लगा दिए।
296- चिराग तले अंधेरा– निकट के दोष न दिखना।
वाक्य प्रयोग- थाने के बगल में चोरी होना चिराग तले अंधेरा होने के समान है।
297- चांडाल चौकड़ी– बहुत शरारती या बदमाश टोली।
वाक्य प्रयोग- तुम्हारा इस चांडाल चौकड़ी में फसना समझ से परे है।
298- चुल्लू भर पानी में डूब मरना– शर्म से मुंह न दिखाना।
वाक्य प्रयोग- इतना बड़ा कांड करके खुलेआम घूम रहे हो। तुम्हें तो चुल्लू भर पानी में डूब मरना चाहिए।
299- चलता करना– हटा देना।
वाक्य प्रयोग- रोहित ने भिखारी को पैसे देकर चलता कर दिया।
300- चकमा देना– धोखा देना।
वाक्य प्रयोग- न्यायालय ले जाते समय अपराधी पुलिस को चकमा देकर फरार हो गया।
301- छक्के छुड़ाना– पूरी तरह हरा देना।
वाक्य प्रयोग- ऑपरेशन विजय के दौरान भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सेना के छक्के छुड़ा दिए।
302- छप्पर फाड़कर देना– बिना मेहनत के अनायास मिलना।
वाक्य प्रयोग- मान्यता है कि भगवान जब देते हैं, छप्पर फाड़कर देते हैं।
303- छोटे मुंह बड़ी बात– सामर्थ्य से अधिक।
वाक्य प्रयोग- छोटे मुंह बड़ी बात करना कभी कभी महंगा पड़ जाता है।
304- छक्का पंजा करना– इधर का उधर करना।
वाक्य प्रयोग- इसकी व्यवस्था करने में बहुत छक्का पंजा करना पड़ता है।
305- छठी का दूध याद आना– बहुत कष्ट होना।
वाक्य प्रयोग-इस काम में उसे इतनी मुसीबत झेलनी पड़ी की छठी का दूध याद आ गया।
306- सीने या छाती पर सांप लोटना– ईर्ष्या से जलना।
वाक्य प्रयोग- साथी की सफलता से मोहन की छाती पर सांप लोटने लगा।
307- सीने या छाती पर मूंग दलना– पास रहकर कष्ट देना।
वाक्य प्रयोग- बिना किराए के मकान में रहकर वह मकान मालिक की छाती पर मूंग दल रहा है।
308- छुपा रुस्तम– देखने में सही गुणों या स्थिति का पता न लगना।
वाक्य प्रयोग- मुझे तो मालूम ही नहीं था कि तुम इतना अच्छा गाते हो। तुम तो बड़े छुपे रुस्तम निकले।
309- जले पर नमक छिड़कना– दुख में और कष्ट देना।
वाक्य प्रयोग- वह तो ऐसे ही दुखी है, ऊपर से आपके ताने उसके जले पर नमक छिड़क रहे हैं।
310- जूतियां चटकाते फिरना– मारा मारा फिरना।
वाक्य प्रयोग- प्रतियोगिता के इस दौर में नवयुवक जूतियां चटकाते फिर रहे हैं।
311- जबान कैंची की तरह चलना– बहुत ज्यादा बोलना।
वाक्य प्रयोग- बड़ों के सामने कैंची की तरह जबान चलाना अच्छी बात नहीं है।
312- जंगल में मंगल– निर्जन यत् असुविधाजनक स्थान में भी आनन्द आना।
वाक्य प्रयोग- कर्मठ व्यक्ति जंगल में भी मंगल कर ही लेते हैं।
313- जी चुराना- काम चोरी करना।
वाक्य प्रयोग- पढ़ाई के नाम से वह हमेशा जी चुराता है।
314- जीती मक्खी निगलना– जानबूझकर अन्याय सहना।
वाक्य प्रयोग- उसके सामर्थ्य के कारण मुझे न चाहते हुए भी जीती मक्खी निगलनी पड़ी।
315- जहर की पुड़िया– मुसीबत की जड़, बहुत तेज ।
वाक्य प्रयोग- इस पूरे झगड़े में आपकी पत्नी ने जहर की पुड़िया का काम किया है।
316- जान के लाले पड़ना– संकट में पड़ना।
वाक्य प्रयोग- नए पुलिस अधिकारी के आने से शहर में अपराधियों की जान के लाले पड़ गए।
317- जड़ खोदना– समूल नष्ट करना।
वाक्य प्रयोग- उसने नशे का कारोबार करने वालों की जड़ें खोद दीं।
318- जमीन में गड़ना– लज्जा से सिर नीचा होना।
वाक्य प्रयोग- बेटे की करतूत सुनकर शर्माजी जमीन में गड़ गए।
319- जान पर खेलना– दुस्साहसपूर्ण पूर्ण कार्य करना।
वाक्य प्रयोग- सर्कस में मौत के कुएं का खेल दिखाने वाले अपनी जान पर खेलते हैं।
320- जान से हाथ धो बैठना– मारा जाना।
वाक्य प्रयोग- सड़क दुर्घटना में चार यात्री जान से हाथ धो बौठे।
321- जोड़ तोड़ करना– उपाय करना।
वाक्य प्रयोग- जोड़ तोड़ करके भी सरकार नहीं बन सकती।
322- झांसा देना– धोखा देना, टरका देना।
वाक्य प्रयोग- लिपिक ने मुझे झांसा दे दिया कि आज काम नहीं होगा।
323- झक मारना– समय नष्ट करना।
वाक्य प्रयोग- कुछ काम करो, क्यों बेकार में झक मार रहे हो ?
324- झाड़ू फेरना– नष्ट करना।
वाक्य प्रयोग- वार्षिक परीक्षा के दौरान आये बुखार ने मोहन की मेहनत पर झाड़ू फेर दिया।
325- टका से जवाब देना– तुरंत अस्वीकार कर देना।
वाक्य प्रयोग- वह हर काम के लिए टका सा जवाब देता है।
326- झगड़ा मोल लेना– जानबूझकर झगड़ा करना।
वाक्य प्रयोग- इन लफंगों से बात करना जानबूझकर झगड़ा मिल लेना है।
327- टांग अड़ाना– बाधा उत्पन्न करना।
वाक्य प्रयोग- वह मेरी बात मानने ही वाला था कि एक दूसरे दुकानदार ने अपनी टांग अड़ा दी।
328- टेढ़ी खीर– कठिन काम।
वाक्य प्रयोग- इस समय परीक्षा का टलना टेढ़ी खीर है।
329- टोपी उछालना– निरादर करना।
वाक्य प्रयोग- विवेक इतना धृष्ट है कि हर एक कि टोपी उछलता रहता है।
330- टस से मस न होना– तनिक भी प्रभावित न होना।
वाक्य प्रयोग- इतनी मान मुनव्वल के बाद भी वह टस से मस नहीं हुई।
331- टीका टिप्पणी करना– कमी निकालना, आलोचना करना।
वाक्य प्रयोग- राम नौकर के काम में हमेशा टीका टिप्पणी करता रहता है।
332- टका सा मुंह लेकर रह जाना– लज्जित होना।
वाक्य प्रयोग- जब मैने उसकी चोरी पकड़ ली तो वह टका सा मुंह लेकर रह गया।
333- टाँय टाँय फिस होना– बुरी तरह असफल होना।
वाक्य प्रयोग- पुराने अधिकारी के चले जाने के बाद सुधार कार्यक्रम टाँय टाँय फीस हो गया।
334- ठकुर सुहाती करना– चापलूसी करना।
वाक्य प्रयोग- आज कल के लोग ठकुर सुहाती की कला मरण निपुण हैं।
335- ठोकरें खाना– कष्ट उठाना।
वाक्य प्रयोग- अभी वक्त है, सुधर जाओ। वरना ठोकरें खाते रहोगे।
336- ठिकाने लगाना– मार डालना, हटा देना।
वाक्य प्रयोग- उसने आज अपने पुराने दुश्मन को ठिकाने लगा दिया।
337- ठन ठन गोपाल– खोखला, खाली हाथ।
वाक्य प्रयोग- यह बोलता बहुत है लेकिन है ठन ठन गोपाल।
338- ठीकरा फोड़ना– दोष देना।
वाक्य प्रयोग- शीला ने झगड़े का ठीकरा रमेश के सिर फोड़ दिया।
339- डंके की चोट पर कहना- स्पष्ट घोषणा करना।
वाक्य प्रयोग- मैं तो डंके की चोट पर कहूंगा कि आपने लाखों का गबन किया है
340- डींग हांकना– झूठी बड़ाई करना।
वाक्य प्रयोग- ठोस काम करने वाले डींग नहीं हांकते हैं।
341- डांवाडोल होना– अस्थिर होना।
वाक्य प्रयोग- पिछले कुछ दिनों से उसकी आर्थिक स्थिति बहुत डांवाडोल है।
342- डोरे डालना– फुसलाना।
वाक्य प्रयोग- मनचलों का काम ही लड़कियों पर डोरे डालना है।
343- डंका बजना– शोहरत होना।
वाक्य प्रयोग- इस समय क्रिकेट में विराट कोहली के नाम का डंका बज रहा है।
344- ढिंढोरा पीटना– प्रचार करना।
वाक्य प्रयोग- मेरे मना करने के बाद भी उसने मेरे विदेश जाने की बात का ढिंढोरा हर जगह पीट दिया।
345- ढोल में पोल– आंतरिक कमी होना।
वाक्य प्रयोग- इन नेताओं की दुनिया बाहर से अच्छी है। लेकिन अंदर ढोल में पोल है।
346- ढाक के तीन पात– सदैव एक सी स्थिति।
वाक्य प्रयोग- उसके काम ही ऐसे हैं कि उसके किये हमेशा ढाक के तीन पात ही हैं।
347- ढाई दिन की बादशाहत– थोड़े समय के लिए अधिकार मिलना।
वाक्य प्रयोग- नियमित प्रधानाचार्य आ जाने से मिश्र जी ढाई दिन की बादशाहत खत्म हो गयी।
348- तख्ता पलटना– जनरल मुशर्रफ ने नवाज शरीफ का तख्ता पलट दिया।
349- तिल का ताड़ बनाना– छोटी बात को बहुत बढ़ा देना।
वाक्य प्रयोग- उसका स्वभाव ही ऐसा है कि वह हर बात को तिल का ताड़ बना देता है।
350- तीन तेरह करना– मीन मेख निकालना।
वाक्य प्रयोग- ज्यादा तीन तेरह न करो। मैं जानता हूँ कि तुम कितना योग्य हो।
muhavare in hindi for class 5
351- तिल धरने की जगह न होना– बहुत भीड़ होना।
वाक्य प्रयोग- आज फाइनल मैच होने के कारण स्टेडियम में तिल रखने की भी जगह नहीं थी।
352- तिलांजलि देना– त्याग देना।
वाक्य प्रयोग- मैंने आज से नशे को तिलांजलि दे दी।
353- तलवार की धारपर चलना – जोखिम भरा कार्य।
वाक्य प्रयोग- पुलिस की नौकरी तलवार की धार पे चले कि तरह है।
354- तेवर दिखाना– नखरे करना।
वाक्य प्रयोग- तुम व्यर्थ में ही तेवर दिखाते हो।
355- तारीफ के पुल बांधना– बहुत प्रसंशा करना।
वाक्य प्रयोग- मुख्यमंत्री की प्रसंशा में विधायक ने तारीफों के पुल बांध दिए।
356- तीस मार खां बनना– काबिल बनना।
वाक्य प्रयोग- आता जाता कुछ नहीं और बड़े तीस मार खां बनते हो।
357- तीन पांच करना– इधर उधर की बात करना, टाल मटोल करना।
वाक्य प्रयोग- मन लगाकर काम करो। ज्यादा तीन पांच मत करो।
358- तूती बोलना– धाक जमना।
वाक्य प्रयोग- इस पूरे इलाके में मोहनलाल की तूती बोलती है।
359- ताक पर रखना– हटा देना, लापरवाही करना।
वाक्य प्रयोग- थोड़ा समय बीतने के बाद उन्होंने सारी सतर्कता ताक पर रख दी।
360- तार-तार होना– पूरी तरह फट जाना, नष्ट हो जाना।
वाक्य प्रयोग- रामू की चतुराई ने सारी योजना तार तार कर दी।
361- तारे गिनना– नींद न आना।
वाक्य प्रयोग- बीती रात चिंता कारण मुझे तारे गिनते हुए काटनी पड़ी।
362- तवे की बूंद होना– तुरंत गायब हो जाना।
वाक्य प्रयोग- खर्चे इतने ज्यादा हैं कि वेतन का पैसा तवे की बूंद जैसा लगता है।
363- तलवे चाटना– खुशामद करना।
वाक्य प्रयोग-राजनीतिक दलों को पूंजीपतियों के तलवे नहीं चाटने चाहिए।
364- तू तू मैं मैं होना– विवाद होना।
वाक्य प्रयोग- रीता और मोहन में छोटी सी बात पर तू तो मैं मैं हो गयी।
365- ताल ठोंकना– ललकारना।
वाक्य प्रयोग- दुश्मन को देखकर रोहित ताल ठोंक कर तैयार हो गया।
366- थूक कर चाटना– बात से मुकरना।
वाक्य प्रयोग- मुकेश कभी अपना वादा पूरा नहीं करता। हमेशा थूक कर चाट लेता है।
367- थाली का बैगन होना– अस्थिर चित्त का होना।
वाक्य प्रयोग- उसपर कभी विश्वास मत करना वह थाली का बैगन है।
368- थू थू करना– बेइज्जती करना, बदनामी करना।
वाक्य प्रयोग- चोरी की घटना में उसका नाम आने से लोग उसपर थू थू कर रहे हैं।
369- दूध की नदियां बहाना– धन धान्य से सम्पन्न होना।
वाक्य प्रयोग- भारतवर्ष में कभी दूध की नदियां बहती थीं।
370- दूध की मक्खी– काम होने के बाद बेकार।
वाक्य प्रयोग- एक बार काम हो जाने दो। फिर उसे दूध की मक्खी की भांति निकाल दूंगा।
371- दो टूक बात करना– स्पष्ट बात करना।
वाक्य प्रयोग- बकाया रकम के भुगतान को लेकर मैंने उससे दो टूक बात की।
372- दुम दबाकर भाग जाना– डरकर भागना।
वाक्य प्रयोग- पुलिस जीप का सायरन सुनकर असामाजिक तत्व दुम दबाकर भाग गए।
373- दूज का चांद होना– कम दिखाई देना।
वाक्य प्रयोग- परीक्षा की तैयारी में व्यस्त होने के कारण रमेश आजकल दूज का चांद हो गया है।
374- दूध का दूध, पानी का पानी– सटीक न्याय।
वाक्य प्रयोग- मामले की जांच सीबीआई से करानी चाहिए। जिससे दूध का दूध और पानी का पानी हो सके।
375- दांत खट्टे करना– पराजित करना।
वाक्य प्रयोग- अपनी जोरदार बहस से उसने विपक्षी के दांत खट्टे कर दिए।
376- दाई से पेट छिपाना– जानकार से भेद छुपाना।
वाक्य प्रयोग- डॉक्टर से पूरी बात न बताना दाई से पेट छिपाने के समान है।
377- दाल न गलना– काम न होना।
वाक्य प्रयोग- मेरे सामने बड़े बड़ों की दाल नहीं गलती।
378- दाल में काला होना– संदेह की बात होना।
वाक्य प्रयोग- महेश जैसा अक्खड़ व्यक्ति बड़े प्यार से बात कर रहा है। जरूर दाल में कुछ काला है।
379- दो नावों पर पैर रखना– एक साथ दो काम करना।
वाक्य प्रयोग- दो नावों पर पैर रखना हमेशा खतरनाक होता है।
380- दिन दूनी रात चौगुनी– भरपूर उन्नति करना।
वाक्य प्रयोग- हमारा देश दिन दूनी रात चौगुनी उन्नति कर रहा है।
381- दिल बैठ जाना– मायूस हो जाना।
वाक्य प्रयोग- फेल होने की बात सुनकर उसका दिल बैठ गया।
382- दांतो तले उंगली दबाना– आश्चर्यचकित होना।
वाक्य प्रयोग- ताजमहल की सुंदरता देखकर लोग दांतों तले उंगली दबा लेते हैं।
383- दाहिना हाथ– अत्यंत विश्वासपात्र।
वाक्य प्रयोग- मुकेश मनोहरलाल का दाहिना हाथ है।
384- दिन रात एक करना- लगातार कड़ा परिश्रम करना।
वाक्य प्रयोग- परीक्षा की तैयारी में रोहिणी ने दिन रात एक कर दिया।
385- दांत काटी रोटी– बहुत घनिष्टता होना।
वाक्य प्रयोग- कृष्ण और सुदामा में दांत काटी रोटी थी।
386- दाना पानी उठना– जगह छोड़ना।
वाक्य प्रयोग- तबादला होने कारण मेरा इस शहर से दाना पानी उठ गया है।
387- दिल भर आना– दुखी होना।
वाक्य प्रयोग- उसकी मार्मिक कहानी सुनकर मेरा दिल भर आया।
388- दूध का धुला– निष्कलंक होना।
वाक्य प्रयोग- आज के समाज में दूध का धुला कोई नहीं है।
389- धूल में मिल जाना– जुएं की आदत के कारण उसने सारा धन धूल में मिला दिया।
390- धता बताना– चालाकी से टाल देना।
वाक्य प्रयोग- वह इतना होशियार ठग है कि हमेशा सबको धता बता देता है।
391- धुन सवार होना– किसी बात के पीछे पड़ना।
वाक्य प्रयोग- इस समय उसे कर लेने की धुन सवार है।
392- धज्जियां उड़ाना– बुरी तरह हराना।
वाक्य प्रयोग-आज उसने अपने विरोधियों की धज्जियाँ उड़ा दी।
393- धूल फांकना– मारे मारे फिरना।
वाक्य प्रयोग- नौकरी छूटने के बाद आजकल वह धूल फांक रहा है।
394- धूल में बाल सफेद होना– अनुभवी न होना।
वाक्य प्रयोग- मुझे मत समझाओ, मैंने धूप में बाल सफेद नहीं किये हैं।
395- नमक मिर्च लगाना– बढ़ा चढ़ा कर बताना।
वाक्य प्रयोग- कुछ लोगों की आदत नमक मिर्च लगाकर बात करने की होती है।
396- नशा उतरना– असलियत का ज्ञान होना।
वाक्य प्रयोग- जब खाने के लाले पड़े तब जाकर रोहित के प्यार का नशा उतरा।
397- नाक कटना– बेइज्जती होना।
वाक्य प्रयोग- दहेज के पूरे पैसे का प्रबंध न होने पर तो मेरी नाक ही कट जाएगी।
398- नाकों चने चबाना– बहुत परेशान होना।
वाक्य प्रयोग- रमेश को वापस घर लाने में मुझे नाकों चने चबाने पड़े।
399- नाम कमाना– प्रसिद्धि प्राप्त करना।
वाक्य प्रयोग- कपड़े के व्यवसाय में शिव ने बहुत नाम कमाया।
400- नौ दो ग्यारह होना– चुपचाप भाग जाना।
वाक्य प्रयोग- पुलिस के पहुंचने से पहले चोर नौ दो ग्यारह हो गए।
hindi muhavare
401- न तीन में न तेरह में– जो किसी गिनती में न हो।
वाक्य प्रयोग- अपने व्यवहार के कारण मूलचंद न तीन में रहा न तेरह में।
402- निन्यानबे के फेर में पड़ना– लालच में पड़ना।
वाक्य प्रयोग- आजकल लोग निन्यानबे के फेर में रहते हैं। इसी कारण परेशान हैं।
403- नजर करना– भेंट देना।
वाक्य प्रयोग- उसने अपने गुरु को सोने का कलश नजर किया।
404- गुस्सा नाक पर रहना– शीघ्र क्रोधित होना।
वाक्य प्रयोग- मेरी माताजी के गुस्सा नाक पर रहता है।
405- नाक पर मक्खी न बैठने देना– बिल्कुल लापरवाही न करना, आंच न आने देना।
वाक्य प्रयोग- मुकेश के जीजाजी अपनी नाक और मक्खी भी नहीं बैठने देते।
406- नाक रगड़ना– खुशामद करना।
वाक्य प्रयोग- लाख नाक रगड़ने पर भी मालकिन ने उसे दोबारा नौकरी पर नहीं रखा।
407- नाक रखना– इज्जत रखना।
वाक्य प्रयोग- शादी के एक दिन पहले पैसा देकर आपने मेरी नाक रख ली।
408- नाक का बाल होना– बहुत प्रिय होना।
वाक्य प्रयोग- आजकल बड़े बाबू सिंह साहब की नाक का बाल बने हुए हैं।
409- नाक भौं चढ़ाना– घृणा प्रगट करना।
वाक्य प्रयोग- नाक भौं न चढ़ाओ, जो दे रहा हूँ उसे स्वीकार करो।
410- नाक में नकेल डालना– नियंत्रित करना।
वाक्य प्रयोग- विपक्ष ने सरकार की नाक में नकेल डाल रखी है।
411- नीचा दिखाना– अपमानित करना।
वाक्य प्रयोग- मेरे रहते हुए तुम मेरे मित्र को नीचा नहीं दिखा सकते।
412- नारद मोह होना– आसक्ति होना।
वाक्य प्रयोग- रमेश को कार से नारद मोह हो गया है। तभी वह कार खरीदने के लिए कुछ भी करने को तैयार है।
413- नानी याद आना– मुसीबत में पड़ जाना।
वाक्य प्रयोग- समय रहते परिश्रम करो नहीं तो परीक्षा में नानी याद आएगी।
414- नींव का पत्थर– आधार होना।
वाक्य प्रयोग- 1857 के स्वतंत्रता सेनानी हमारी आजादी की नींव के पत्थर हैं।
415- पत्थर की लकीर– अपरिवर्तनीय।
वाक्य प्रयोग- मेरी यह भविष्यवाणी पत्थर की लकीर है।
416- पहाड़ टूट पड़ना– अचानक विपत्ति का आना।
वाक्य प्रयोग- मार्ग दुर्घटना में पति की मृत्यु का समाचार सुनकर शीला के ऊपर पहाड़ टूट पड़ा।
417- पानी पानी होना– अत्यधिक लज्जित होना।
वाक्य प्रयोग- सच्चाई खुल जाने के बाद अधिकारी के सामने पहुंचते ही वह पानी पानी हो गया।
418- पेट में चूहे कूदना– जोर की भूख लगना।
वाक्य प्रयोग- सुबह से ही मेरे पेट में चूहे कूद रहे हैं।
419- पौ बारह होना– लाभ ही लाभ होना।
वाक्य प्रयोग- उसे मंत्री पद मिलने वाला है। भाई अब तो उसके पौ बारह हैं।
420- पट्टी पढ़ाना– सिखाना।
वाक्य प्रयोग- यह काम उसने किसी के पट्टी पढ़ाने पर ही किया होगा।
421- पगड़ी उछालना– बेइज्जती करना।
वाक्य प्रयोग- शादी में स्कूटर न मिलने पर लड़के वालों ने कन्या के पिता की पगड़ी उछाल दी।
422- पाँव भारी होना– गर्भवती होना।
वाक्य प्रयोग- सुरेद की पत्नी के पांव भारी हैं।
423- पेट का पानी न पचना– किसी बात को बिना कहे न रहना।
वाक्य प्रयोग- रीता से कोई गुप्त बात कहने लायक नहीं। क्योंकि इसके पेट में पानी नहीं पचता।
424- पानी पी पीकर कोसना– हर समय बुरा भला कहना।
वाक्य प्रयोग- तुम्हारी बहू ने ऐसा क्या कर दिया कि तुम उसे पानी पी पीकर कोसती रहती हो।
425- पासा पलटना– स्थिति विपरीत होना।
वाक्य प्रयोग- पहले आस्ट्रेलिया का पलड़ा भारी था। बाद में अचानक पासा पलट गया।
426- पापड़ बेलना– मुसीबत सहना।
वाक्य प्रयोग- इस कुर्सी तक पहुंचने के लिए मैंने बहुत पापड़ बेले हैं।
427- पत्थर पर डूब जमना– असम्भव काम होना।
वाक्य प्रयोग- रवि का पास हो जाना पत्थर पर डूब जमने की तरह है।
428- पाँव उखड़ना– घबरा जाना।
वाक्य प्रयोग- राणा प्रताप की वीरता से मुगल सेना के पाँव उखड़ गए।
429- प्राण पखेरू उड़ जाना– राम के स्पर्श से जटायु के प्राण पखेरू उड़ गए।
430- पीठ दिखाना– भाग जाना।
वाक्य प्रयोग- कुछ भी जाये लेकिन दुश्मन को पीठ नहीं दिखाऊंगा।
431- पैरों तले जमीन खिसकना– हक्का बक्का रह जाना।
वाक्य प्रयोग- असम्भव हार की खबर सुनकर मेरे पैरों तले जमीन खिसक गई।
432- पटरी बैठना– अच्छे संबंध होना।
वाक्य प्रयोग- देवदत्त की गांव में किसी के साथ भी पटरी नहीं बैठती।
433- पेट में दाढ़ी होना– कम उम्र में भी अनुभवी और ज्ञानी होना।
वाक्य प्रयोग- सात वर्ष के राजेश की परिपक्व बातें सुनकर लोग कहते हैं कि इसके पेट में दाढ़ी है।
434- पीठ में छुरा भोंकना– धोखा देना।
वाक्य प्रयोग- विजय बाबू ने हरिनाथ का साथ न देकर उनकी पीठ में छुरा भोंक दिया।
435- फूला न समाना– बहुत खुश होना।
वाक्य प्रयोग- पुत्र जन्म की खबर सुनकर वह फूला न समाया।
436- फूटी आंख न सुहाना– बिल्कुल अच्छा न लगना।
वाक्य प्रयोग- रमेश कक हरकतें मुझे फूटी आंखों भी नहीं सुहाती हैं।
437- फूल कर कुप्पा होना– बहुत खुश होना।
वाक्य प्रयोग- अपनी तारीफ सुनकर वह फूलकर कुप्पा हो गया।
438- बगुला भगत होना– कपटपूर्ण व्यवहार, पाखण्ड।
वाक्य प्रयोग- पाकिस्तान पर विश्वास करना ठीक नहीं। वह पूरा बगुला भगत है।
439- बछिया का ताऊ– निरामूर्ख।
वाक्य प्रयोग- मैं सबकुछ जानता हूँ, मुझे बछिया का ताऊ न समझो।
440- बहती गंगा में हाथ धोना– अवसर का लाभ उठाना।
वाक्य प्रयोग- चुनाव जीती पार्टी में शामिल होकर नेताजी ने बहती गंगा में हाथ धो लिए।
441- बाएं हाथ का खेल– अत्यंत सरल।
वाक्य प्रयोग- उसे हराना तो मेरे बाएं हाथ का खेल है।
442- बात का बतंगड़– बेमतलब बात बढ़ाना।
वाक्य प्रयोग- रामू ने बैग की छोटी सी लड़ाई को लेकर बात का बतंगड़ बना दिया।
443- बाल की खाल निकालना– बहुत छानबीन करना।
वाक्य प्रयोग- महेश का स्वभाव ही बाल में खाल निकालने वाला है।
444- बिना पेंदी का लोटा- अस्थिर प्रवृत्ति वाला।
वाक्य प्रयोग- वह तुरंत पार्टी बदल लेता है, बेपेंदी का लोटा जो ठहरा।
445- बालू में तेल निकालना– असम्भव कार्य करना।
वाक्य प्रयोग- इस बुद्धू को पढ़ाकर आपने बालू में से तेल निकाल लिया है।
446- बीड़ा उठाना– संकल्प करना।
वाक्य प्रयोग- मंत्रीजी गांव के विद्युतीकरण के लिए बीड़ा उठा चुके हैं।
447- बाल बांका न होना– कोई नुकसान न होना।
वाक्य प्रयोग- एक्सीडेंट बहुत खतरनाक था। शुक्र है आपका बाल भी बांका नहीं हुआ।
448- भीगी बिल्ली बनना– डर जाना।
वाक्य प्रयोग- अपराधी तत्व पुलिस को देखते ही भीगी बिल्ली बन जाते हैं।
449- भगीरथ प्रयत्न करना– अथक परिश्रम करना।
वाक्य प्रयोग- सिविल सेवा की परीक्षा पास करना भगीरथ प्रयत्न करने जैसा है।
450- भैस के आगे बीन बजाना– निरर्थक प्रयत्न करना।
वाक्य प्रयोग- गंवार से नीति की बातें करना भैंस के आगे बीन बजाना है।
451- मिट्टी पलीत होना– दुर्दशा होना।
वाक्य प्रयोग- अपने किये कार्यों से उसकी मिट्टी पलीत हो गयी।
452- मुंह की खाना– बेईज्जत होना।
वाक्य प्रयोग- कारगिल युद्ध में पाकिस्तान ने मुंह की खाई।
453- मुंह में पानी आना– लालच आना।
वाक्य प्रयोग- स्वादिष्ट भोजन देखकर मुंह में पानी आना स्वाभाविक है।
454- मुट्ठी गर्म करना– रिश्वत देना।
वाक्य प्रयोग- इस युग में बिना मुट्ठी गर्म किये कोई काम नहीं होता।
455- मुंह लगना– निकटस्थ, ढीठ।
वाक्य प्रयोग- मेरे मुंह लगने की कोशिश न करो, मुझे पसंद नहीं।
456- मुंह मोड़ना– छोड़ देना।
वाक्य प्रयोग- जुएं की आदत के कारण पिताजी ने उससे मुंह मोड़ लिया।
457- मुंह काला होना– बदनाम होना।
वाक्य प्रयोग- चोरी करते रंगे हाथ पकड़े जाने से उसका मुंह काला हो गया।
458- महंगा पड़ना– हानिकारक होना।
वाक्य प्रयोग- पहलवान से मजाक करना उसे बहुत महंगा पड़ गया।
459- मुट्ठी में करना– काबू में करना।
वाक्य प्रयोग- पता नहीं कैसे उसने मेरे बेटे को अपनी मुट्ठी में कर रखा है।
460- मुंह तोड़ जवाब देना– सटीक उत्तर देना।
वाक्य प्रयोग- जमीन विवाद में मैंने उन लोगों को मुंहतोड़ जवाब दे दिया।
461- माथा ठनकना– आशंका होना, संदेह होना।
वाक्य प्रयोग- उसकी गोल मोल बातों से मेरा माथा ठनका की जरूर कहीं कुछ गड़बड़ है।
462- मीन मेख निकालना– कमी निकालना।
वाक्य प्रयोग- तुम्हारी हर काम में मीन मेख निकालने की आदत मुझे अच्छी नहीं लगती।
463- मक्खन लगाना– चापलूसी करना।
वाक्य प्रयोग- मेरा काम हो न हो मैं मक्खन नहीं लगा सकता।
464- मैदान मारना– जीत जाना।
वाक्य प्रयोग- भारतीय टीम ने ऑस्ट्रेलिया से मैच में मैदान मार लिया।
465- मोटा आसामी– मालदार, पैसे वाला।
वाक्य प्रयोग- चोर उचक्के मोटा आसामी ढूढते हैं।
466- मुंह फैलाना– मांगना।
वाक्य प्रयोग- कंजूस के आगे मुंह फैलाने से कोई लाभ नहींहै।
467- माथे पर बल पड़ना– चिंतित होना।
वाक्य प्रयोग- उसकी शर्तें सुनकर मोहनदास जी के माथे पर बल पड़ गए।
468- मिट्टी का माधो– मूर्ख, बुद्धू।
वाक्य प्रयोग- वह केवल देखने में मिट्टी का माधो है बाकी है बहुत होशियार।
469- मुंह में घी शक्कर– ऐसा ही हो।
वाक्य- प्रयोग- अगर मेरे काम हो गया तो तुम्हारे मुंह में घी शक्कर।
470- युग-युगांतर से– प्राचीन काल से।
वाक्य प्रयोग- जर -जोरू और जमीन की लड़ाई युग युगांतर से चली आ रही है।
471- रंग जमाना– प्रभाव बढ़ना।
वाक्य प्रयोग- आज स्टेज शो में नीलिमा ने रंग जमा दिया।
472- रंग में भंग होना– आनंद में विघ्न आना।
वाक्य प्रयोग- जुआ खेल रहे लोगों के रंग में पुलिस ने भंग डाल दिया
473- रंगरेलियां मनाना– मौज मस्ती करना।
वाक्य प्रयोग- आजकल होटलों में लोग रंगरेलियां मनाने जाते हैं।
474- रास्ता नापना– चले जाना।
वाक्य प्रयोग- विनय ने भिखारी से कहा कि माफ करो और रास्ता नापो।
475- रोंगटे खड़े होना– रोमांचित होना।
वाक्य प्रयोग- भूत प्रेतों की कहानी सुनकर रोंगटे खड़े हो जाते हैं।
476- लकीर पीटना– अवसर निकल जाने पर व्यर्थ कोशिश।
वाक्य प्रयोग- चोर भाग गए, लोग लकीर पीटते रहे।
477- लोहा मानना– महत्व स्वीकार करना।
वाक्य प्रयोग- गामा पहलवान का लोग आज भी लोहा मानते हैं।
478- लंगोटिया यार– बेहद घनिष्ठ मित्र।
वाक्य प्रयोग- मुकेश मेरा लंगोटिया यार है।
479- लाले पड़ना– अत्यधिक अभाव।
वाक्य प्रयोग- इस साल सूखे कारण किसानों को खाने के लाले पड़े हैं।
480- लाल-पीला होना– बहुत गुस्सा होना।
वाक्य प्रयोग- चाहे जितना लाल पीला हो लो। तुम मेरा कुछ नहीं कर सकते।
481- लेने के देने पड़ना– लाभ की जगह घाटा होना।
वाक्य प्रयोग- मुझे आंख मत दिखाओ, लेने के देने पड़ जाएंगे।
482- लकीर का फकीर होना– पुराने विचारों का होना।
वाक्य प्रयोग- आज के आधुनिक समाज में भी बहुत लोग लकीर के फकीर हैं।
483- लल्लो- चप्पो करना– चिकनी चुपड़ी बातें करना।
वाक्य प्रयोग- उसकी लल्लो-चप्पो की आदत सब जानते हैं।
484- लोहे के चने चबाना– कड़ी टक्कर देना।
वाक्य प्रयोग- अगर उसने मुझसे लड़ाई मोल ली तो मैं उसे लोहे के चने चबवा दूंगा।
485- वारे-न्यारे करना– अत्यधिक लाभ कमाना।
वाक्य प्रयोग- शेयर दलाली में हर्षद मेहता ने वारे न्यारे कर लिए।
486- विष उगलना– बुरे वचन बोलना, आलोचना करना।
वाक्य प्रयोग- मुझे देखते ही वह विष उगलने लगता है।
487- वाह वाह होना– बहुत प्रसंशा होना।
वाक्य प्रयोग- सुषमा स्वराज की विदेश नीति की पूरे देश में वाह वाह हो रही है।
488- शूली पर चढ़ना– बहुत कष्ट सहना, मृत्यु की परवाह न करना।
वाक्य प्रयोग- आजादी पाने के लिए कितने ही लोग शूली पर चढ़ गए।
489- शोले भड़कना– अशांति होना।
वाक्य प्रयोग- दंगों ने पूरे शहर में शोले भड़का दिए।
490- शान में बट्टा लगना– बेइज्जती होना।
वाक्य प्रयोग- उसकी हरकतों ने पूरे परिवार की शान में बट्टा लगा दिया।
491- सब्ज बाग दिखाना– लालच देकर बहकाना।
वाक्य प्रयोग- कई संगठन नौजवानों को सब्ज बाग दिखाकर गलत रास्ते पर ले जा रहे हैं।
492- सांप को दूध पिलाना– दुष्ट के साथ उपकार करना।
वाक्य प्रयोग- संतोष की मदद करना सांप को दूध पिलाना है।
493- सिर पर सवार होना– हठ पकड़ लेना, पीछे पड़ जाना।
वाक्य प्रयोग- बच्ची खिलौना खरीदने के लिए मेरे सिरपर सवार हो गयी।
494- सिर उठाना– विरोध करना, उपद्रव करना।
वाक्य प्रयोग- राज्य में कई सरदारों ने सिर उठा लिया है।
495- सिर पर पांव रखकर भागना– तेजी से भागना।
वाक्य प्रयोग- पुलिस के आने की खबर पाकर उपद्रवी सिर पर पांव रखकर भाग गए।
496- सिर मुंडाते ही ओले पड़ना– आरम्भ में ही संकट उत्पन्न होना।
वाक्य प्रयोग- घर का काम शुरू करते ही जमीन का विवाद हो गया। मुझे तो सिर मुंडाते ही ओले पड़े।
497- सूरज को दिया दिखाना– बहुत योग्य की प्रसंशा करना।
वाक्य प्रयोग- महात्मा गांधी की प्रसंशा करना सूरज को दिया दिखाना है।
498- सोने पे सुहागा– अच्छे में और गुण आ जाना।
वाक्य प्रयोग- वह बहुत धनी है और सोने पे सुहागा यह कि विनम्र भी।
499- सुरखाब का पर लगना– विशेष होना।
वाक्य प्रयोग- तुममें सुरखाब के पर लगे हैं क्या, जो अपने आप को सबसे अलग समझते हो।
500- सांप- छछूंदर की दशा होना– असमंजस या दुविधा में होना।
वाक्य प्रयोग- इस झगड़े में किसकी तरफ बोलूं। मेरी स्थिति तो सांप छछूंदर वाली हो गयी है।
501- सिट्टी पिट्टी गुम होना– होश उड़ना।
वाक्य प्रयोग- पिताजी की डांट से उसकी सिट्टी पिट्टी गुम हो गयी।
502- हवा हो जाना– भाग जाना।
वाक्य प्रयोग- उचक्के सूटकेस उठाकर हवा हो गए।
503- हाथ धोकर पीछे पड़ना– एकदम पीछे लग जाना।
वाक्य प्रयोग- पुलिस चोरों के पीछे हाथ धोकर लग गयी है।
504- हालत पतली होना– दयनीय स्थिति।
वाक्य प्रयोग- बाजार में नरमी के कारण उसकी हालत पतली है।
505- हाथ पर हाथ धरे बैठना– कुछ प्रयास न करना।
वाक्य प्रयोग- मीना की मां बोली, ” हाथ पर हाथ धरे बैठे ही रहोगे या लड़की के लिए रिश्ता भी ढूढोगे।
506- हाथ मलना– पश्चाताप करना।
वाक्य प्रयोग- जो लोग अवसर का लाभ नहीं उठाते, बाद में हाथ मलते रहते हैं।
507- हुक्का पानी बंद करना– बिरादरी से अलग करना।
वाक्य प्रयोग- गांव वालों रमेश के परिवार का हुक्का पानी बंद कर दिया।
508- हवा बांधना– दिखावा करना।
वाक्य प्रयोग- उसके अंदर की कुंठा उसे सबके सामने हवा बांधने के लिए प्रेरित करती है।
509- हाथ-पांव फूलना– भयभीत हो जाना।
वाक्य प्रयोग- डाकुओं की ललकार से गांव वालों के हाथ-पांव फूल गए।
510- हाथ पीले करना– लड़की की शादी करना।
वाक्य प्रयोग- मोहन ने इसी साल अपनी लड़की के हाथ पीले किये हैं।
511- हाथ पांव मारना– प्रयास करना।
वाक्य प्रयोग- कुछ हाथ पांव मारो, ऐसे कुछ नहीं होगा।
512- हाथों हाथ लेना– सहर्ष स्वीकार करना।
वाक्य प्रयोग- तुम्हारा सुझाव सुनकर लोग तुम्हें हाथोंहाथ लेंगे।
513- हवा का रुख– स्थिति देखकर।
वाक्य प्रयोग- उसकी सफलता का राज यह है कि वह हर बात हवा का रुख देखकर करता है।
514- हाथ तंग होना– कमी होना।
वाक्य प्रयोग- आजकल पैसों से मेरा हाथ तंग है।
515- हाथों के तोते उड़ना– होश उड़ना।
वाक्य प्रयोग- पुत्री के भागने की खबर सुनकर राम के हाथों के तोते उड़ गए।
516- हाथ पसारना– याचना करना, मांगना।
वाक्य प्रयोग- स्वाभिमानी लोग किसी के आगे हाथ नहीं पसारते।
517- हवाई किले बनाना– कोरी कल्पना करना।
वाक्य प्रयोग- यथार्थ में भी कुछ करो, केवल हवाई किले बनाने से कुछ नहीं होगा।
518- हथेली पर सरसों उगाना– असम्भव कार्य करना।
वाक्य प्रयोग- राकेश शर्मा ने अंतरिक्ष यात्रा करके हथेली पर सरसों जमा दिया।
519- हाथ साफ करना– सफाई से हासिल करना या चुराना।
वाक्य प्रयोग- उसने सारे माल पर हाथ साफ कर दिया। अब बचा भी क्या है ?
519- हाथ को हाथ न सूझना– बहुत अंधेरा होना।
वाक्य प्रयोग- आज तो बहुत ही घना कोहरा है, बाहर सड़क पर हाथ को हाथ नहीं सूझ रहा है।
520- हाथ का मैल– तुम रुपये की चिंता क्यों करते हो ? रुपया तो हाथ का मैंल है।
521- हथियार डालना– हार मान लेना।
वाक्य प्रयोग- पुलिस के चारों ओर से घेर लेने पर चोरों ने हथियार डाल दिये।
522- हंसी उड़ाना– उपहास करना।
वाक्य प्रयोग- तुम लोग आज हंसी उड़ा लो, एक दिन पछताओगे।
523- हंसी खेल समझना– साधारण काम समझना।
वाक्य प्रयोग- जानवरो को सिखाना कोई हंसी खेल नहीं है।
524- जान हथेली पर लिए फिरना– मौत की परवाह न करना।
वाक्य प्रयोग- हमारे सैनिक जान हथेली पर लिए फिरते हैं।
525- होश संभालना– सयाना होना।
वाक्य प्रयोग- उसने जब से होश संभाला है कठिनाइयां ही झेल रहा है।
526- हाथ उठाना– मारना या पीटना।
वाक्य प्रयोग- अपने से बड़ों पर हाथ उठाना अच्छी आदत नहीं है।
527- हाथ डालना– शुरू करना।
वाक्य प्रयोग- आलू की खेती में जबसे हाथ डाला है तबसे लाभ ही लाभ मिल रहा है।
528- हम्मीर हठ– बहुत जिद्दी।
वाक्य प्रयोग- जितेंद्र के हम्मीर हठ के आगे मुझे झुकना ही पड़ा।
529- श्री गणेश करना– प्रारंभ करना।
वाक्य प्रयोग- काम का श्रीगणेश तो करो, बाकी अपने आप सब हो जाएगा।
530- ज्ञान बघारना– शेखी दिखाना, जानकार साबित करना।
वाक्य प्रयोग- मुकेश कोई भी बात पूछो वह अपना ज्ञान बघारने लगता है।