आज हम आप लोगों के लिए गणेश जी की आरती- ganesh ji ki aarti नामक पोस्ट लाये हैं। जिसमें गणेश जी सबसे ज्यादा प्रचिलित आरती का संग्रह है। साथ उनका अर्थ और english lyrics भी प्रस्तुत है। जिससे हिंदी कम जानने वाले भी पूरा लाभ ले सकें।
आरती क्या है ? आरती गणेश जी की
आरती को ‘आरार्तिक’ और ‘नीराजन’ भी कहते हैं। आरती पूजा के अंत में की जाती है। देवपूजन में यदि कोई गलती हो गयी हो, या कुछ भूल गए हों। तो आरती कर लेने से वह क्षमा हो जाती है। स्कन्दपुराण में वर्णन है–
मन्त्रहीनं क्रियाहीनं यत् कृतं पूजनं हरेः।
सर्वे सम्पूर्णतामेति कृते नीराजने शिवे।।
अर्थात- देवता का पूजन यदि बिना मन्त्र और क्रिया के भी किया जाय तो भी केवल आरती कर लेने से वह पूर्ण हो जाता है।
आरती कैसे करें ?
पद्मपुराण में लिखा है कि आरती हमेशा कपूर या घी में भीगी रुई की बत्तियों से की जानी चाहिए। बत्तियों की संख्या विषम अर्थात एक, तीन, पांच, सात आदि होनी चाहिए। आरती में घण्टा, घड़ियाल, शंख आदि वाद्ययंत्रों का प्रयोग करना चाहिए।
आरती लय के साथ गानी चाहिए। आरती के अंत में जयकारा अवश्य लगाना चाहिए। उसके बाद सभी उपस्थित लोगों को पूर्ण श्रद्धा से आरती लेनी चाहिए।
गणेश जी की आरती- ganesh ji ki aarti
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।
एकदन्त, दयावन्त, चारभुजा धारी।
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी।।
अन्धन को आंख देत, कोढ़िन को काया।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया।।
लड्डुअन का भोग लगे, सन्त करें सेवा।
पान चढ़े, फूल चढ़े और चढ़े मेवा।।
दीनन की लाज रखो शम्भु सुतवारी।
कामना को पूरा करो, जग बलिहारी।।
अर्थ- जिनकी माता पार्वती और पिता शंकर जी हैं ऐसे गणेश जी की जय हो। एक दांत वाले, दया करने वाले, चार भुजाओं वाले गणेश जी के मस्तक पर सिंदूर की शोभा है और वे चूहे पर सवार हैं।
गणेशजी अंधों को दृष्टि, कोढ़ियों को स्वास्थ्य, निःसंतान लोगों को संतान और निर्धनों को धन प्रदान करते हैं। गणेश जी को पान, फूल, मेवों और लड्डू का भोग लगाया जाता है और संत लोग उनकी सेवा करते हैं।
हे भगवान शंकर के पुत्र, दीन-दुखियों की पुकार सुनो और उनकी कामनाएं पूरी करो। पूरा संसार आपको शीश झुकाता है। यह गणेश जी की आरती का हिन्दी अर्थ है।
ganesh ji ki aarti lyrics in English
jai ganesh, jai ganesh, jai ganesh deva.
mata jaki parvti, pita mahadeva.
ekdant, dayavant, charbhuja dhari.
mathe sindoor sohe, moose ki savari.
andhan ko aankh det, kodhin ko kaya.
banjhan ko putra det, nirdhan ko maya.
paan chadhe, fool chadhe aur chadhe meva.
ladduvan ko bhog lage, sant karen seva.
deenan ki laj rakho shambhu sutvari.
kamna ko poori karo jag balihari..